आईटी कंपनियों में ऑटोमेशन के तेजी से बढ़ते इस्तेमाल के कारण लोगों में नौकरी जाने की चिंता के बीच 76 फीसदी भारतीय नियोक्ताओं का कहना है कि ऑटोमेशन (स्वचालन) की स्वीकार्यता बढ़ने के बावजूद वे कर्मचारियों की संख्या बढ़ाएंगे या बनाए रखेंगे।
वहीं, वैश्विक स्तर पर 87 फीसदी नियोक्ताओं ने भी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने या बनाए रखने की योजना बनाई है।
मैनपावरग्रुप ने अगले दो साल में रोजगार में वृद्धि पर ऑटोमेशन के प्रभाव को लेकर 44 देशों के 19,000 नियोक्ताओं का सर्वेक्षण किया है।
ग्रुप के इंडिया के प्रेसिडेंट (प्रयोग) मनमीत सिंह का कहना है कि कार्यबल में रोबोट की संख्या अधिक-से-अधिक बढ़ाई जा रही है। ऐसे में मार्गदर्शक (लीडर) होने के नाते हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानव मशीनों के साथ एकीकृत हों क्योंकि यह समय की आवश्यकता है।
सहकर्मी बन सकेंगे मानव और मशीन
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वैश्विक प्रतिभा की कमी 12 साल के उच्चस्तर पर है। नए कौशल उतनी ही तेजी से सामने आ रहे हैं, जितनी तेजी से अन्य गायब हो रहे हैं।
वहीं, सिंह का कहना है कि नए कौशल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने से मानव बनाम मशीन का अंतर समाप्त हो जाएगा। इससे मानव और मशीनों को एक ही मंच पर सहकर्मियों के रूप में साथ लाया जा सकेगा।
नौकरी से निकाले गए सवा सौ रोबोट
जापान के ‘क्यू शू द्वीप’ में ‘हेन-ना’ होटल ने काम पर रखे 243 में से 123 रोबोट को नौकरी से निकाल दिया है। ये रोबोट होटल में आने वाले ग्राहकों का काम आसान करने की बजाए उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रहे थे।
‘चुरी’ नाम के ये रोबोट होटल के हर कमरे में यह सोचकर रखे गए थे कि स्थानीय जगह को लेकर ये होटल के ग्राहकों के सवालों का जवाब दे पाएं। लेकिन ये ऐसा करने में असफल रहे। साथ ही ग्राहकों को कमरे में चैन से सोने भी नहीं दे रहे थे।
दरअसल, होटल के कमरे में ग्राहक गहरी नींद में अगर खर्राटे भरने लगते तो उनके खर्राटों की आवाज सुनकर ये रोबोट उन्हें तब तक सोने नहीं देते थे, जब तक कि ग्राहक खुद उसका जवाब नहीं दे देते। इससे वे नाराज होने लगे।