23 एवं 24 जून को मुनि श्री का प्रवास लक्ष्मीनगर दिगम्बर जैन मंदिर में होगा
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन विशुद्धसागर महाराज के सुयोग्य शिष्य श्रमण मुनि प्रशमसागर ससंघ मुनियों एवं श्रमण मुनि सुप्रभसागर महाराज ससंघ का बुधवार को भगवान महावीर स्वामी की तपोस्थली धार्मिक नगरी उज्जैन की पावन धरा पर मंगल मिलन हुआ।
वहीं आज गुरुवार को मुनि संघ का नमक मंडी जिनालय में विहार होगा। इस दौरान वे वहां प्रवचन देंगे और आहारचार्य करेंगे। मुनि सुप्रभसागर एवं मुनि प्रणतसागर महाराज उज्जैन नगरी में वर्षायोग हेतु छिंदवाड़ा से लगभग 400 कि.मी. का पद विहार करते हुए 19 जून को उज्जैन पहुंचे। इस मंगल विहार का संघपति बनने का सौभाग्य शांति कुमार शशि, सौरम कृतिका, दर्शित कासलीवाल परिवार को प्राप्त हुआ एवं ऋषिनगर दिगम्बर जैन समाज उज्जैन ने समन्वयक की भूमिका निभाते हुए मंगल विहार पूर्ण कराया।
सैकड़ों समाजजन बने साक्षी
मुनि प्रशमसागर महाराज ने कहा कि हमारा मिलन मिलने के लिए नहीं, अपितु निज से निज का मिलन कराने के लिए है। इस अवसर पर समाज के प्रमुख प्रमोद जैन, अनिल गंगवाल, प्रदीप झांझरी, नरेन्द्र बडज़ात्या, नितिन डोसी, सत्येन्द्र जैन, कैलाश जैन, कमल मोदी, देवेन्द्र कांसल, सुनील कासलीवाल, दिलीप सोगानी, शरद बडज़ात्या, संजय बडज़ात्या आदि सैकड़ों तादाद में महिलाऐं एवं पुरूष घंटाघर चौराहे पर प्रात: मुनिश्री के मिलन को देखने के लिए उपस्थित थे।
25जून को निर्वाण महोत्सव
फ्रीगंज स्थित दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट पर मुनि ससंघ के पद-प्रक्षालन का सौभाग्य महेन्द्र गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ। मुनि श्री का संघ आज सुबह फ्रीगंज से मंगल विहार नमक मंडी मंदिर के लिए होगा और वहीं मुनि संघ के प्रवचन एवं आहारचार्य संपन्न होगी। 23 एवं 24 जून को मुनि श्री का प्रवास लक्ष्मीनगर दिगम्बर जैन मंदिर में रहेगा। तदुपरान्त 25 जून को मुनिश्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जयसिंहपुरा में रहेंगे, जहां भगवान नेमीनाथ स्वामी का निर्वाण महोत्सव मनाया जायेगा।
अद्भुत मिलन देख भक्त हुए गदगद
मुनि प्रशमसागर, मुनि साध्यसागर एवं मुनिसंयतसागर महाराज ससंघ भोपाल से मंगल पद विहार करते हुए वर्षायोग हेतु बडऩगर के लिए गमन चल रहा है। इस क्रम में बुधवार को सुबह टॉवर चौक पर पांच विशुद्ध रत्नों का वात्सल्यमयी मिलन देखकर भक्तों का हृदय गदगद हो गया।
जहां नदियों का मिलन वहीं संयम
महामिलन के उपरांत पांचों मुनिराज श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर पंचायती मंदिर फ्रीगंज पहुंचे। मंदिर प्रांगण में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए प.पू. मुनि सुप्रभसागर ने कहा कि निग्रंथों की प्रत्येक क्रिया-चर्चा उनके मूल गुणों के पालन के लिए होती है। वे अनावश्यक रूप से न तो गमन करते हैं और न ही कोई क्रिया करते हैं।
जब भोगी-रोगी व्यक्ति विषय कसायों में लीन होकर रोता है, तब वे योगी जागते हैं और जब योगी शारीरिक थकान मिटाने के लिए सोते हैं, तब भोगी जन जागते हैं। जहां नदियों का मिलन होता है, उसे संयम कहते हैं और संसारी जीव उस संगम को देखन जाते हैं, जो जड़ संगम पाप का ही कारण है, लेकिन आज आपने जो विशुद्ध धारा का वात्सल्यमयी संगम देखा है वह निश्चित ही पाप निर्जरा का कारण बनेगा।