चौंकिए जनाब…. आप कौन सा विषय दिलवा रहे हैं अपने बच्चे को
आने वाले पांच वर्ष बाद बैंकिंग और आईटी सेक्टर्स में कम हो जाएगी नौकरी…!
अक्षरविश्व न्यूज . ललित ज्वेल:शहर तो ठीक पूरे प्रदेश के हायर सेकण्डरी स्कूल्स में पिछले तीन वर्षो से कक्षा 11वीं में विषय चुनने को लेकर जो ट्रेण्ड चल रहा है, वह चौंकानेवाला है। अभिभावक भी उचित काउंसलिंग नहीं मिलने के कारण भेड़चाल में अपने बच्चों को शामिल कर रहे हैं। ऐसा होने का असर करीब 5 वर्ष बाद साफ तौर पर दिखाई देगा, जब नौकरियां कम हो जाएगी या डिमांड ही नहीं होगी।
यह दावा है शहर के शा. उत्कृष्ट उमावि, माधवनगर के प्राचार्य संजय त्रिवेदी का। उनके अनुसार वे प्रदेशभर के शासकीय उत्कृष्ट उमावि में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की रूचि के विषयों को लेकर अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन से जो बातें सामने आ रही है,उस अनुसार उज्जैन के उत्कृष्ट उमावि में परिवर्तन भी ला रहे हैं और अभिभावकों की काउंसलिंग भी कर रहे हैं। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि जो ट्रेण्ड चल रहा है, क्या वह उचित है?
यह चल रहा है ट्रेण्ड…
श्री त्रिवेदी के अनुसार 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद जो भी बच्चा 11वीं कक्षा में प्रवेश लेने आता है। उससे और उसके अभिभावकों से जब पूछा जाता है कि…कौन-सा विषय लेना चाहते हो? जवाब आता है- मैत्थ्स या कॉमर्स अथवा मैत्थ्स विथ कॉमर्स।
जब दूसरा प्रश्न किया जाता है कि इसके अलावा अन्य विषयों के प्रति अरूचि है या वे कठिन लगते हैं? जवाब आता है: मैत्थ्स में सबकुछ ठीक चलेगा तो आईटी सेक्टर मे ंचले जाएंगे। कॉमर्स में सबकुछ ठीक रहा तो बैंक की नौकरी मिल ही जाएगी।
फिजिक्स/केमेस्ट्री/बायो/आर्ट्स के विषयों में नहीं रूचि
चर्चा में श्री त्रिवेदी बताते हैं कि विद्यार्थियों की प्रवेश पूर्वकाउंसलिंग के दौरान वन-टू-वन चर्चा होती है। इसीप्रकार अभिभावकों से भी चर्चा करते हैं। अधिकांश विद्यार्थी यही कहते हैं कि जो पापा ने तय किया,वही सब्जेक्ट ग्रुप लेंगे। पिता से चर्चा करने पर वे कहते हैं-सर, पढ़ाई खत्म हो और जॉब लग जाए। बस,ओर क्या चाहिए? आईटी सेक्टर और बैंकिंग में सबसे अधिक नौकरियां लग रही है। इनका भी भविष्य अच्छा हो जाएगा ओर हमारा बुढ़ापा शांति से निकल जाएगा।
श्री त्रिवेदी के अनुसार उनके द्वारा किए गए शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि अभिभावक केवल नौकरी सरलता से मिल जाए,इस ओर ध्यान दे रहे हैं। यही कारण है कि अनेक सेक्टर्स अभी भी खाली ही पड़े हैं। फैकल्टी ही नहीं है। वे समझाते हैं कि चिंहित क्षेत्र में अधिक संख्या होने पर कॉम्पीटीशन बढ़ जाएगी। फिर नौकरी की क्या गारंटी। दूसरा सब्जेक्ट ग्रुप ले लो। लेकिन वे नकार देते हैं।