Friday, September 22, 2023
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आर्य समाज का साप्ताहिक सत्संग संपन्न

उज्जैन। जिन पंचतत्व से हमारा शरीर बना है वही पंचतत्व पूरे ब्रह्मांड में विद्यमान है। कान का विषय शब्द, आंख का विषय रूप, जिह्वा का विषय रस, नासिका का विषय गंध और त्वचा का विषय स्पर्श है। यह पांच तत्व प्रकृति के प्रत्येक पदार्थों में सूक्ष्म रूप से विद्यमान है।

उक्त विचार आर्य समाज उज्जैन के साप्ताहिक सत्संग में प्रसिद्ध योग गुरु आर्य संत डॉ. रामप्रसाद मालाकार ने विश्व शांति का एकमात्र उपाय परमात्मा दर्शन का वैज्ञानिक प्रयोग विषय पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वस्तु साकार भी है और निराकार भी पांच बाह्य साधनों व पांच गुणों के माध्यम से पांच तत्वों को जाना जाता है।

छठा तत्व हमारा उभयलिंगी मन है जो वायु प्रधान है जिससे हमें तुष्टि, पुष्टि और संतुष्टि मिलती है। शर अक्षर और पुरुषोत्तम प्रकृति को ही माया कहा गया है जिसमें सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण विद्यमान होते हैं।

कार्यक्रम में भजन की प्रस्तुति सिरोलिया ने दी। आचार्य जीवन प्रकाश द्वारा सत्संग के प्रारंभ में विशेष वैदिक मंत्रों से हवन संपन्न कराया गया। इस दौरान मदनलाल कुमावत, गोपाल सोनी, ओम प्रकाश यादव, नंदकिशोर टांडी, नवनीत सिकरवार, सुरेश पाटीदार, राजेंद्र शर्मा, वेदप्रकाश आर्य और अनेक वैदिक धर्मालुजन उपस्थित थे।

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