यह भी दुर्लभ घटना… चंद्रमा नीला नहीं होगा पर ‘ब्लूमून’ देख सकेंगे लोग
आसमान में दिखेगा दुर्लभ नजारा, रिंग में नजर आएगा शनि ग्रह
उज्जैन में टेलिस्कोप से लोग देख सकेंगे शनि का सुंदर रूप
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:इस बार 27 अगस्त का दिन बेहद खास होगा, क्योंकि इस हम आसमान में अपनी आंखों से शनि ग्रह और शनि रिंग (वलय) को देख सकेंगे। उज्जैन की जीवाजी वेधशाला में इसे दिखाया जाएगा। इस घटना का सभी को बेसब्री से इंतज़ार है। ये बेहद दुर्लभ खगोलीय घटना है, जो कई सालों में देखने को मिलती है। दूसरी दुर्लभ घटना ब्लूमून के रूप में इसी माह अंत में दिखाई देगी।
जीवाजी वेधशाला अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया 27 अगस्त के दिन ऐसा इसलिए होगा क्योंकि शनि ग्रह सूर्य के बिल्कुल उल्टा यानी अपोजिट दिखेगा और धरती के बिल्कुल नजदीक होगा। शनि की इस अवस्था को मौसम साफ रहने पर टेलिस्कोप से देखा जा सकेगा और शनि के आस पास की रिंग भी देखने को मिल जाएगी। इस दिन शनि बेहद खूबसूरत दिखाई देगा।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार 30 अगस्त को एक और खगोलीय घटना होने जा रही है जब आसमान में ब्लू मून का नजारा देख सकेंगे। ब्लूमून मतलब ये नहीं कि आसमान में चंद्रमा का रंग नीला हो जाएगा बल्कि यह एक कैलेंड्रिकल घटना का परिणाम है।एक महीने में दो पूर्णिमा पड़ती हैं, तो दूसरी पूर्णिमा वाले सुपरमून को ब्लू मून कहा जाता है। ब्लू मून की घटना करीब ढाई साल में एक बार घटती है। इससे पहले ब्लूमून 22 अगस्त 2021 में देखा गया था।
आमतौर पर हर महीने में एक पूर्णिमा होती है, लेकिन कभी-कभी, एक ही महीने में दो पूर्णिमा होती है। जब ऐसा होता है, तो दूसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है। ‘सुपरमून’ साधारण चंद्रमा से सात प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत चमकीला दिखता है। जब सूर्य की रोशनी से रौशन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरता है, तो ये काफी बड़ा, चमकदार और भव्य नजर आता है।
इस बीच चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी 2 लाख 24 हजार 865 मील रह जाती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे सुपरमून कहा जाता है। साल में सुपरमून की घटनाएं तो देखने को मिलती हैं, लेकिन एक महीने में दो बार सुपरमून की घटना कम ही होती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा 27.3 दिनों में एक बार दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। इस कारण अपनी कक्षा में किसी बिंदु पर यह पृथ्वी से सबसे दूर होता है। इस बिंदु को ‘अपोजी’ कहा जाता है और जब पृथ्वी के सबसे निकट होता है तो उसे ‘पेरिगी’ कहा जाता है।
शनि की वलय हमेशा टेलिस्कोप से ही देख सकते हैं
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. गुप्त ने बताया सोशल मीडिया पर जिन घटनाओं का जिक्र किया जा रहा है वह नियमित रूप से होने वाली घटनाएं हैं। 18 अगस्त को सूर्य की क्रांति 13 अंश 10 कला है। अत: जिन स्थानों का अक्षांश 13 अंश 10 कला होगा, वहीं पर परछाई शून्य होगी।
उज्जैन में परछाई 21 या 22 जून को शून्य होती है। पृथ्वी पर किसी ना किसी स्थान पर प्रत्येक दिन शून्य छाया दिवस होता है। 27 अगस्त को सूर्य-शनि का प्रतियोग है। प्रतियोग से आशय यह है कि सूर्य व शनि के बीच 180 अंश का अंतर होना।27 अगस्त को सूर्य अस्त के बाद शनि पूर्व दिशा में सूर्य से 180 अंश पर होगा । शनि की वलय हमेशा टेलिस्कोप से ही देख सकते हैं नंगी आंखों से कभी नहीं देख सकते।
और 18 अगस्त को नहीं दिखाई देगी परछाई…
18 अगस्त को दुनिया में नो शैडो डे मनाया जाएगा। नो शैडो का मतलब है किसी भी तरह की परछाई ना दिखना। इस दिन सूरज धरती के ठीक ऊपर होगा और इस दौरान कई देशों में लोगों को किसी भी चीज की परछाई नहीं दिखाई देगी। ये घटना तब होती है जब सूर्य हमारी धरती के बिल्कुल ऊपर आ जाता है। इस कारण किसी भी चीज की परछाई नहीं बनती। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक ये घटना उन जगहों या शहरों में होती है जो कर्क और मकर रेखा के बीच आते हैं। भारत में सबसे पहले कौटिल्य ने इस खगोलीय घटना का आभास किया था।