इतना सन्नाटा क्यों है भाई?

By AV NEWS

इतना सन्नाटा क्यों है भाई?

@शैलेष व्यास

राजीव गांधी भवन यानी शहर में कांग्रेस का कार्यालय। चुनावी समय में यही उम्मीद कार्यकर्ताओं और लोगों को होती है कि इस समय तो पूरे दिन राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर गहमा-गहमी होगी ही, लेकिन कांग्रेस कार्यालय की स्थिति को देखकर ऐसा नहीं लगता।

विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय नेताओं की बात छोड़ दी जाए तो संगठनात्मक रूप से कांग्रेस की मैदानी सक्रियता शहर में नजर नहीं आती। न संगठनात्मक रूप से तय कार्यक्रम हो रहे हैं न पदाधिकारी चुनावी तैयारियों के लिए उतनी तेजी से सक्रिय हैं। इस सन्नाटे और सुस्ती से हैरान कार्यकर्ता जब कांग्रेस कार्यालय के बाजू से गुजरता है, तो यह सवाल अवश्य करता है कि इतना सन्नाटा क्यों है यहां….? देखना है कि यह सुस्ती आखिर कब दूर होगी।

ऐनवक्त पर मैदान में कूदे और दौड़ में शामिल भी हो गए

विधानसभा के टिकटार्थी वर्षों से प्रयासरत हैं। अपने-अपने क्षेत्र में वे लोगों से मेल-मुलाकात भी कर रहे हैं। ऐसे नेता लाखों रुपये अपनी जमीन तैयार करने में लगा चुके हैं, लेकिन अनेक ऐसे दावेदार हैं, जिन्होंने साढ़े चार साल तो कुछ नहीं किया, लेकिन ऐनवक्त पर मैदान में कूदे और दौड़ में शामिल भी हो गए।

बात करें कांग्रेस की तो अचानक दावेदारों की तादाद में वृद्धि ने उनका तनाव बढ़ा दिया है, जो वर्षों से समय और पैसा फूंक रहे हैं। इन सीटों पर जो अन्य लोग वर्षों से या यह कहें कि 2018 के चुनाव से भी पहले से प्रयास कर रहे हैं, वो चिंता में हैं। भोपाल में टिकट-मंथन के दौरान सीजनल नेताओं की बाढ़ से जमीनी नेताओंं को लगने लगा है कि क्या वे संगठन के लिए जमीन तैयार करने का साधन-मात्र हैं?

कोई रोकेगा ऑटो और ई-रिक्शा की गुंडई..

शहर की हर गली में ऑटो और ई-रिक्शा उतराने से लगे हैं। उनकी धमाचौकड़ी जहां यातायात व्यवस्था को चौपट कर रही है, वहीं इसकी वजह से आमजन परेशान है। ऑटो और ई-रिक्शा की आड़ में अनेक शातिर अपराधी-तत्व अपनी शक्ल छुपाए हुए हैं। यहीं वजह है कि गाहे-ब-गाहे समय-समय पर उनका असली रूप सामने आता रहता है। सवारियों से न केवल मनमानी उगाही करते हैं, बल्कि उनके साथ मारपीट तक पर आमादा हो जाते हैं।

अधिकांश मामलों में पुलिस भी बहुत संवेदनशीलता नहीं दिखाती, जिसकी वजह से उनके हौसले बुलंद हैं। पुलिस को चाहिए कि थानावार ऑटो और ई-रिक्शा मालिकों और चालकों का रिकॉर्ड चेक कराए। इससे पुलिस को भी शातिर तत्वों का सुराग लग जाएगा और साफ-सुथरी छबि वाले ड्रायवर ही सड़कों पर उतर पाएंगे। अपराधी तत्वों को इस नेटवर्क से बाहर किए बिना आमजन के साथ मनमानी जारी रहेगी, लोग अपमानित होकर खून का घूंट पीते रहेेंगे।

अब पंचायत में दरबार की तैयारी

विधानसभा चुनाव में हाथ आजमाने और दलबदल के बाद भी असफल होने के बाद शहर के एक नेता अब पंचायत के माध्यम से अपना दरबार जमाने की कोशिश में है। चर्चा है कि इसके लिए उन्होंने कृषि भूमि के बड़े रकबे के साथ ही काफी संख्या में दुधारू मवेशी खरीदे हैं। उनके निकटवर्ती समर्थकों का कहना है, उनके भाई साहब अब कृषक के तौर पर अपनी पहचान बनाकर ग्रामीण क्षेत्र (पंचायत) से राजनीति करना चाहते है । बता दें के जिला पंचायत या जनपद पंचायत के सदस्य का चुनाव लडऩे के लिए तय क्षेत्रफल में कृषि भूमि होना आवश्यक है।

गोपनीय यात्रा और अफसर का स्टार प्रेम

ओएमजी-2 का महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने विरोध किया है। इस फिल्म के अभिनेता जन्मदिन के अवसर पर अपनी नई फिल्म की सफलता की कामना के लिए उज्जैन आए थे। इस यात्रा को न केवल गोपनीय रखा गया, बल्कि उनकी यात्रा की व्यवस्था के सारे सूत्र अधिकारियों ने अपने हाथों में रखें। अभिनेता के उज्जैन आने की जानकारी केवल मंदिर में पूजन कराने वाले एक पुजारी के साथ चुनिंदा अधिकारियों को दी गई। इस यात्रा में अधिकारी का फिल्मी स्टार प्रेम भी उजागर हो गया। अभिनेता पुलिस अधीक्षक के घर गए और केक भी काटा गया।

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