बड़ी समस्या है छोटे सिक्कों की, कोई भी नहीं लेता
उज्जैन।शहर में इन दिनों एक व दो रुपए के सिक्के को लेकर आम लोग और दुकानदार दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि चिल्लर का चलन अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। मामले में ज्यादातर दुकानदारों का कहना है कि एक दो रुपए के सिक्के हमसे कोई नहीं लेता है तो हम क्यों ले।
दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने किसी सिक्के के चलन को बंद नहीं किया है, लेकिन कई दुकानदार एक और दो रुपए के सिक्कों को चलन से बाहर करने का प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में खेरची दुकानदार दर्पण मरमट का कहना है कि हमसे बड़े व्यापारी सिक्के नहीं ले रहे है, ऐसे में हमें भी अपने ग्राहकों को मना करना पड़ता है, जब बैंक में सिक्के जमा कराने जाते हैं तो बैंक सिक्के जमा नहीं करती।
ऐसे में सिक्कों का हम क्या करें। खेरची दुकानदार रवि शर्मा ने बताया कि पहले कमीशन में चिल्लर जाती थी, लेकिन अब यह हाल है कि कोई कमीशन काटकर भी चिल्लर नहीं ले रहा हैं। वे जब सामान मंगाते हैं तो उन्हें बड़े नोट देने पड़ते हैं। यानी जिन बड़े व्यापारियों से वे सामान खरीदते हैं, वह सिक्के नहीं लेते।
इन्होंने भी बनाई सिक्कों से दूरी
शहर में संचालित हो रहे ऑटो, मैजिक और बस चालक भी इन दिनों एक व दो रुपए के सिक्कों के लेनदेन में मना करते हैं। यहां तक कि मंदिरों, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के आस पास घूमने वाले भिक्षुक भी एक या दो के सिक्के लेने से मना कर रहे हैं।
सिक्के नहीं लेना दण्डनीय अपराध
यदि कोई व्यक्ति या दुकानदार सिक्के लेने से इनकार करता है तो वह दण्डनीय अपराध है, ऐसा करना भारतीय मुद्रा का अपमान है। उक्त व्यक्ति की शिकायत संबंधित बैंक या पुलिस से कर सकते हैं। भारतीय मुद्रा लेने से इनकार करने पर की सजा और जुर्माने तक का प्रावधान है।
सोशल मीडिया पर मिली कमेंट्स
किराना दुकानदार होने के कारण एक और दो रुपए की चिल्लर के लिए परेशान हूं। थोक व्यापारी मुझसे चिल्लर नहीं ले रहे। अब इन्हें कहा चलाऊ।
-अर्पित वर्मा
शहर में एक दो रुपए के सिक्के की परेशानी को लेकर एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर कहा कि गुजरात ले जाओ वहां सब चलती है।
-विकास गोयल
चिल्लर लेकर सब आते है, कभी माचिस दे दो, शेम्पू दे दो तो कभी चाकलेट दे दो, लेकिन खेरची दुकानदार किसको दे, उनसे थोक बाजार में चिल्लर कोई नहीं लेता।
– उमेश राठौर