सरकारी अमला नहीं मान रहा प्रायवेट लेब की रिपोर्ट को
सरकारी और प्रायवेट अस्पतालों में इलाज के लिए जगह नहीं
दो-तीन दिन में मिल रही है रिपोर्ट
उज्जैन। शहर में डेंगू रोग जमकर फैला हुआ है। हालात यह है कि सरकारी और प्रायवेट अस्पतालों में जगह नहीं है। उपचार के लिए मरीज के पास दो ही विकल्प है। यदि सरकारी में जाता है तो उसका ब्लड सेंपल चरक भवन में सरकारी पैथालॉजी लेब में भेजा जाता है। वहां से दो से तीन दिन में रिपोर्ट आती है। इस बीच यदि मरीज के परिजनों के दबाव में सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीज के ब्लड का सेंपल डॉक्टर प्रायवेट लेब में भिजवा देते हैं और डेंगू पॉजिटिव आ जाता है तो उसे सरकारी आंकड़े में शामिल नहीं किया जाता है। यानि उपचार डेंगू का दिया जाता है, लेकिन लिखा नहीं जाता है कि मरीज को डेंगू है?
इस बात को लेकर जब चिकित्सकों से चर्चा की तो मत अलग-अलग आए। माधवनगर अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी के अनुसार हमारे यहां मरीज के भर्ती होने पर यदि उसका ब्लड सेंपल चरक भेजा गया और वहां से डेंगू पॉजिटिव आया तो ही हम लिखते हैं कि मरीज को डेंगू है। प्रायवेट जांच रिपोर्ट में भले ही आ गया हो, हम उपचार तो देते हैं, लेकिन सरकारी तौर पर डिक्लियर नहीं कर सकते हैं। यहां गौरतलब बात यह है कि सरकारी अस्पताल में नौकरी करने वाले यही चिकित्सक जब प्रायवेट में उपचार करते हैं तो प्रायवेट लेब की रिपोर्ट के आधार पर पर्चे पर डेंगू पॉजिटिव लिख देते हैं।
इनका कहना है
एमडी डॉ. एचपी सोनानिया के अनुसार चरक हॉस्पिटल की लेब में एलाइसा टेस्ट होता है। डेंगू यदि है तो उसमें पॉजिटिव आता है। यही डेंगू की जांच का सबसे सही टेस्ट है।
शासकीय पैथालॉजी लेब से सेवानिवृत्त डॉ. सीपी भार्गव के अनुसार प्रायवेट अस्पतालों में सारे डॉक्टर्स द्वारा ऐसे मरीजों की एंटीजन जांच करवाई जाती है। इसमें एलाइसा शामिल है, लेकिन इस जांच से यह भी पता चल जाता है कि ब्लड में एंटीबॉडी कितनी है और मरीज को उपचार की शुरूआत कहां से करना चाहिए। उसकी स्थिति किस दिशा में जा रही है। ऐसे में उनका व्यक्तिगत सुझाव है कि चरक में भी एंटीजन टेस्ट होना चाहिए, ताकि मरीज को जल्द से जल्द लाभ मिल सके। आवश्यकता डेंगू पॉजिटिव खोजने की नहीं, उससे आगे का उपचार क्या हो, इस बात को जानने की भी होना चाहिए।