Monday, June 5, 2023
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उज्जैन:देवप्रबोधिनी एकादशी पर अवंतिका नगरी को मिलेगी नई सौगात

PM मोदी की वर्चुअल हरी झंडी से उज्जैन-फतेहाबाद के बीच दौड़ेगी यात्री ट्रेन

बहुप्रतीक्षित ट्रैक पर दो मेमू ट्रेन के दो फेरों की अनुमति…

उज्जैन।देवप्रबोधिनी एकादशी पर अवंतिका नगरी को उज्जैन-फतेहाबाद ट्रेन रूट की सौगात मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल हबीबगंज रेलवे स्टेशन से वर्चुअल हरी झंडी दिखाकर उज्जैन से फतेहाबाद के बीच करीब 7 साल से बंद ट्रेनों के सफर को फिर से प्रारंभ करेंगे।

उज्जैन से फतेहाबाद ट्रैक पर पैसेंजर ट्रेन शुरू होने से हजारों यात्रियों को राहत मिलेगी और उज्जैन से इंदौर के लिए एक वैकल्पिक रेल मार्ग भी मिलेगा। उज्जैन के लिहाज से यह रेल लाइन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इंदौर आने-जाने वालों के लिए वैकल्पिक छोटा रेल मार्ग उपलब्ध कराएगी। यात्रियों को सुविधा मिलेगी और समय बचेगा।

लोकार्पण के लिए रेलवे द्वारा व्यापक तैयारी की जा रही हैं। हालांकि अभी तक ट्रेन का शेड्यूल फाइनल नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करने के बाद उज्जैन-फतेहाबाद रेल मार्ग का लोकार्पण भी करेंगे। वे उज्जैन और इंदौर से एक-एक मेमू ट्रेन को वर्चुअल हरी झंडी दिखाएंगे। सांसद अनिल फिरोजिया के अनुसार उज्जैन-इंदौर के बीच चार फेरों की अनुमति मांगी गई थी, फिलहाल रेलवे ने दो फेरों की अनुमति दी है।

बस से लगभग आधा किराया होगा…

रेलवे ने ट्रेन का शेड्यूल और किराया फिलहाल तय नहीं किया है, लेकिन जानकारों के अनुसार यात्रियों को सफर में तो कम समय लगेगा। किराया भी बस की तुलना में आधा होगा। उज्जैन-इंदौर के बीच बसों का वर्तमान किराया सामान्य बस में 75 रु. प्रतियात्री और एसी बस में 100 रु. है। रेल में उज्जैन व्हाया देवास से इंदौर का सामान्य पैसेंजर में किराया 45 रु. है। उज्जैन से फतेहाबाद के बीच मेमू ट्रेन का किराया 30 से 35 रु. प्रतियात्री संभावित है।

उज्जैन-फतेहाबाद ट्रेक के सफर पर एक नजर

करीब 23 किमी लंबे मार्ग का 245 करोड़ रुपये की लागत से गेज परिवर्तन किया गया है।

मार्च 2013 में इस ट्रैक को बंद करने की घोषणा की गई थी। ठ्ठ 23 फरवरी 2014 को इस पर आखिरी मीटर गेज ट्रेन चलाई गई थी।

इंदौर-फतेहाबाद-रतलाम सेक्शन के बड़ी लाइन में बदलने के बाद रेलवे ने उज्जैन-फतेहाबाद लाइन को अनुपयोगी मानकर स्थायी रूप से बंद करने की तैयारी भी कर ली थी। पर तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के आग्रह के बाद बड़ी लाइन में बदलने का फैसला लिया गया। इसके लिए तत्कालीन सांसदों प्रेमचंद गुड्डू और डॉ.चिंतामणि मालवीय ने लगातार प्रयास किए।

वर्ष 2017-18 के बजट में गेज परिवर्तन के लिए 104 करोड़ रुपये किए मंजूर।

वर्ष 2018 के बजट में बजट बढ़ाकर 245 करोड़ रुपये किया। गेज परिवर्तन के साथ इलेक्ट्रिफिकेशन करने की भी मंजूरी दी।

22.96 किलोमीटर है ट्रैक की लंबाई।

1879-80 में इस खंड पर पहली बार चली थी ट्रेन

1879-80 में काम पूरा होने के इस खंड पर पहली ट्रेन दौड़ी थी। इंदौर-उज्जैन मार्ग पर पटरी बिछाने का काम 1876 में हुआ था। उज्जैन में मीटरगेज ट्रेनों का इतिहास करीब 141 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि वर्ष 1871-72 में इंदौर से नीमच रेल लाइन डालने के लिए अंग्रेजों ने प्रस्ताव बनाया था। इसमें उज्जैन को शामिल नहीं किया था। तत्कालीन सिंधिया स्टेट ने उज्जैन में रेल लाइन डालने के लिए अंग्रेजों को 75 लाख रुपए का ऋण दिया था। उज्जैन-देवास-इंदौर के बीच की दूरी करीब 80 किलोमीटर है। उज्जैन-फतेहाबाद-इंदौर के बीच की दूरी 62 किलोमीटर है। दोबारा ट्रेनों का संचालन शुरू होने से इस रेल मार्ग से इंदौर की दूरी 18 किमी कम हो जाएगी।

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