सनातन धर्म, शास्त्र, संस्कृति और परंपरा का जनजागरण करने के लिए इंजीनियर की 12 ज्योतिर्लिंग पैदल यात्रा…
उज्जैन।हौसले बुलंद हों और दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बढ़ती हुई उम्र भी रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती।
ऐसी ही मिसाल करने जा रहें है भारत के मूल अमेरिका निवासी 70 साल के विजय राजवैद्य। आप शुक्रवार से पैदल 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा करने वाले है। इस के लिए उनका उद्देश्य सनातन धर्म,शास्त्र,संस्कृति और परंपरा का जनजागरण करना है।
खंड़वा के राजवैद्य परिवार से नाता रखने वाले विजय राजवैद्य 1982 में अमेरिका की सिल्कनवेली के नागरिक बन चुके हैं। इन दिनों वे उज्जैन आए है। वे 12 ज्योतिर्लिंग की अलग-अलग सत्रों में पैदल यात्रा करने वाले है।
इसकी शुरूआत वे 6 मई को उज्जैन से ओंकारेश्वर करने जा रहे है। विजय राजवैद्य ने बताया के उनका जन्म मुम्बई में हुआ और प्रारंभिक शिक्षा देवास रोड़ स्थित मसीह मंदिर स्कूल में हुई।
बचपन के कई साल उज्जैन में रहने की वजह से भगवान महाकाल और सनातन धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा रही। पिता चन्द्रशेखर राजवैद्य सेंट्रल एक्साइज की सेवा में थे।
उनका अन्य स्थानों पर तबादला होते रहने के कारण बाद की शिक्षा इंदौर, खंड़वा, देवास, जबलपुर और भोपाल में हुई। पेशे इंजीनियर विजय राजवैद्य को वेद, पुराण,धर्मग्रंथ का गहरा ज्ञान है।
भिलाई स्टील प्लांट में 6 साल नौकरी की। प्रबंधन ने आगे पढऩे की अनुमति नहीं दी तो नौकरी छोड़ दी। नेवी में सैनिक बनने के लिए आवेदन किया,पर इंजीनियर के पद का ऑफर हुआ राजवैद्य सैनिक बनकर फ्रंट पर तैनात होना चाहते थे।
अवसर नहीं मिला तो सेना में जाने का इरादा त्याग दिया। 1982 में अमेरिका चले गए और इंजीनियरिंग की अन्य विधा की उच्च डिग्री हासिल की। इस सब के बीच धर्म का अध्ययन भी जारी रखा।
राजवैद्य सिल्कनवेली में रहने वाले भारतीय को धर्म की जानकारी देने के साथ पूजन-पाठ भी कराते है। विजय राजवैद्य का कहना है कि 1982 के बाद युवा पीढ़ी धर्म से दूर होती जा रही हैं और इसी का जनजागरण कर वे 12 ज्योतिर्लिंग की पैदल यात्रा कर रहे हैं। 12 ज्योतिर्लिंग की कुल 9060 कि.मी की यात्रा अलग-अलग सत्रों में पूरी करने वाले है।
उम्र के सातवें दशक को पार कर रहे विजय राजवैद्य का मानना है कि कोई भी काम करो तो फ्रंट पर रहना चाहिए। भगवना शिव के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले विजय राजवैद्य का कहना है कि धर्म और विज्ञान को जोड़कर काफी कुछ देखा और समझा जा सकता है।
उनका लक्ष्य इसका प्रचार करना भी है। उज्जैन में अपने मित्र समाजसेवी रवि प्रकाश लंगर के यहां आए विजय राजवैद्य ने बताया कि वे एवरेस्ट की 20 हजार मीटर ऊंचाई तक पर्वतारोहण कर चुके है। विमान उड़ाने का शौक है, इसके लिए उनके पास पायलेट लायसेंस भी है।