Saturday, June 10, 2023
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उज्जैन:शहर में कोरोना वेक्सीन के बुस्टर डोज को लगवाने भटक रहे 18 से 59 आयु वर्ग के लोग

रूपए लेकर भी टीका लगाने के लिए शहर का एक भी प्रायवेट हॉस्पिटल तैयार नहीं

लोग इंदौर जाकर लगवा रहे डोज़…

उज्जैन।शहर में 18 से 59 वर्ष आयु के लोग कोरोना का बुस्टर डोज लगाने के लिए भटक रहे हैं। सरकारी अस्पताल में यह लग नहीं रहे हैं और प्रायवेट हॉस्पिटल लगाने को तैयार नहीं है। जबकि शासकीय आदेश है कि प्रायवेट हॉस्पिटल में तय राशि देकर बुस्टर डोज लगवा सकते हैं।

सरकार द्वारा 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को सरकारी हॉस्पिटल में बुस्टर डोज नि:शुल्क लगाया जा रहा है। इससे कम आयु के केवल फ्रंटलाइनर्स को ही लगाए जा रहे हैं। अन्य लोग जब सरकारी हॉस्पिटल पहुंचते हैं तो उन्हे बुस्टर डोज लगाने से मना कर दिया जाता है।

कहा जाता है कि सरकार ने प्रायवेट हॉस्पिटल्स को यह जिम्मेदारी दी है,रूपए देकर लगवा लिजिये। जब उन्हे कहा जाता है कि उज्जैन शहर में एक भी प्रायवेट हॉस्पिटल रूपए देकर भी बुस्टर डोज नहीं लगा रहा है। ऐसे में वे कहां जाएं? तो उनके प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे रहा है।

इनका कहना है…जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.के सी परमार के अनुसार अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि टीका लगवाना अनिवार्य नहीं किया जा सकता।

सरकारी हॉस्पिटल्स में केवल 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और फ्रंट लाइनर्स को ही नि:शुल्क बुस्टर डोज लगवाया जा रहा है। अन्य लोगों को हमें मना करना पड़ रहा है। आगामी 15 दिनों में इस समस्या का हल निकलने की संभावना है। शहर के दो हॉस्पिटल्स से चर्चा चल रही है।

बुस्टर डोज लगवाने मेंयहां आ रही समस्या…

डॉ. परमार के अनुसार सरकार ने बुस्टर डोज की प्रायवेट हॉस्पिटल में लगवाने की दर तय कर रखी है। प्रायवेट हॉस्पिटल्स की अपनी समस्याएं है, उसे समझना होगा। कम्पनियां प्रायवेट हॉस्पिटल्स को कम से कम 1 लाख रूपए के डोज खरीदने के लिए बाध्य कर रही हैं।

कम्पनियों ने पॉलिसी बना ली है कि कम से कम 500 डोज खरीदना ही होंगे। प्रत्येक डोज 200 रूपए का पड़ेगा। यदि किसी प्रायवेट हॉस्पिटल ने एक वायल खोली तो मानकर चलें कि उसी दिन 10 डोज नहीं लगे तो जो वेस्टेज जाएगा, उसका खामियाजा प्रायवेट हॉस्पिटल को ही भुगतना है।

यदि रेट बढ़ाकर 400 या 500 रूपए प्रति डोज़ कर देते हैं तो प्रशासन की आपत्ति आना तय है। यही तकनीकी कारण है कि प्रायवेट हॉस्पिटल्स चुप्पी साधकर बैठ गए हैं।

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