शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय प्रांत संयोजक बैठक का समापन
उज्जैन। समाज के प्रबोधन के लिए शिक्षा अनिवार्य है। शिखा से मन का परिवर्तन होता है। शिक्षा से चिंतन को गति मिलती है। शिक्षा का चेहरा आज तक पश्चिमी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा में परिवर्तन लाएगी। भारतीय ज्ञान पध्दति को स्थान मिलेगा। यह बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकारिणी सदस्य प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे ने व्यक्त किये। वे शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय प्रांत संयोजक बैठक के समापन सत्र के अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्टीय सचिव अतुल कोठारी ने दे हुए कहा कि दुनिया के सारे शोध बताते हैं कि शिखा मातृभाषा में होना चाहिये। भ्रम फैलाया गया कि बिना अंग्रेजी बच्चे को अद्धार नहीं होगा।