Saturday, June 10, 2023
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उज्जैन कोरोना योद्धा : ICU में समय निकालकर करते हैं रोजा इफ्तारी स्टॉफ की आवाज आते ही दौड़ पड़ते हैं तुरंत अंदर

 

उज्जैन। शहर के डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल, माधवनगर में आईसीयू में लगातार डेढ़ वर्ष से सेवा दे रहे कोरोना योद्धा डॉक्टर्स पर स्टॉफ भी गर्व कर रहा है।

स्टॉफ का कहना है कि विशेषज्ञ डॉक्टर्स तो आकर निर्देश दे जाते हैं, लेकिन आयसीयू में लगातार 12-12 घण्टे तक ड्यूटी करते हुए क्रिटिकल मरीजों की लगातार सेवा करनेवाले जूनियर डॉक्टर्स का हौसला देखते ही बनता है। अक्षरविश्व & avnews ऐसे ही कोरोना योद्धाओं की तस्वीर पाठकों के सामने ला रहा है।

सुबह से शाम तक उपवास रहता हैं

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डॉ.तारिक सलीम गौरी

डॉ.गौरी इस समय आईसीयू में है। उन्हें साक्षात्कार लेने के लिए तीन दिन से कोशिश जारी है। आज उनको थोड़ा समय मिला तो वे नीचे परिसर में आए और चर्चा कहा- माफ कीजियेगा, रमजान चल रहे हैं। रोजा इफ्तारी के बाद मिलने का कहा था। अंदर से सिस्टर का फोन आ गया तो आईसीयू में पहुंचा और मरीज को आवश्यक उपचार देकर आया हूं आपसे मिलने। उन्होंने बताया कि वे इन दिनों सुबह से शाम तक उपवास पर रहते हैं। अन्न-जल कुछ नहीं लेते हैं। ड्यूटी समय पर ही आईसीयू से बाहर आकर रोजा तोड़ लेते हैं। वापस अपने काम पर जुट जाते हैं।

दो बेटियों और दो जुड़वा बच्चों के पिता डॉ.तारीक के अनुसार दो पारियों में ड्यूटी के बाद घर पहुंचकर बाहर ही नहाना,स्वयं के कपड़े धोना, सेनेटाईज होकर परिवार के बीच जाना और अगले दिन पुन: ड्यूटी पर रवाना हो जाना,यही दिनचर्या बन गई है पिछले डेढ़ वर्ष से। एक ही उद्देश्य रहता है कि मरीज की जान बच जाए। चंूकि आईसीयू में ही पदस्थ हैं,ऐसे में हर पल एक नया चैलेंज आता है मरीज की तबियत को लेकर। चूंकि तकरीबन मरीज क्रिटिकल स्थिति में आते हैं, इसलिए साज संभाल अधिक सावधानी से करना होती है।

कोरोनवाले डॉक्टर आ रहे हैं…दूर हट जाओ

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डॉ.सतीश शर्मा

इंदिरा नगर में रहनेवाले डॉ. सतीश शर्मा डेढ़ वर्ष से शा.माधवनगर में कोरोना पॉजीटिव की आईसीयू में काम कर रहे हैं। कोरेाना वायरस को लेकर तो लोग डरे हुए ही हैं,लेकिन जो डॉक्टर कोरोना मरीजों का उपचार अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं,समाज के कुछ लोग उनसे परहेज किए हुए हैं। डॉ.शर्मा के अनुसार ड्यूटी के बाद घर जाता हूं। नहाना, स्वयं के कपड़े धोना, सामान सेनेटाईज करने के बाद परिवार का कोई सामान लाना होता तो (जनता कफ्र्यू के पहले तक) मौहल्ले की किराना दुकान पर जाता। वहां पूर्व से सामान खरीद रहे लोग कानाफूसी करते देखो, कोरोनावाले डॉक्टर आ रहे हैं, दूर हो जाओ और सभी लोग दूरी बना लेते। मुझे बड़ा अटपटा लगता, क्योंकि वे यह नहीं समझ रहे होते कि हम अपनी जान जोखिम में डाले हुए है। भयभीत तो हमारे परिवार को होना चाहिए। डॉ.शर्मा के अनुसार वे मुरैना के रहनेवाले हैं। अब यहीं के हो गए हैं। विवाह हो चुका है। शुरूआत में पत्नि के मन में भय रहता था। धीरे-धीरे उनका भय समाप्त हुआ। डॉ.शर्मा के अनुसार रिश्तेदार जरूर अभी भी भय खाते हैं और दूर से ही बात करते हैं। किसी के घर जाने की इच्छा भले ही हो,वे परहेज करते हैं।

मौहल्ले के लोग सलाह लेने आते हैं

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डॉ.महेंद्र तिवारी

उर्दूपुरा में रहने वाले डॉ.महेंद्र तिवारी माधवनगर की आईसीयू में डेढ़ वर्ष से सेवा दे रहे हैं। उनके पिता जिला अस्पताल में कम्पोडर के पद से सेवानिवृत्त हुए। पिता की इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने। डॉ.महेंद्र ने यह कर दिखाया। पिता के समय से मौहल्ले में किसी की तबियत खराब होती तो दोड़कर उनके घर का दरवाजा खटखटाया जाता था। आज भी यह क्रम जारी है। पहले पिता जाते थे अब डॉ.महेंद्र जाते हैं आधी रात को उठकर। यही कारण है कि कोरोना मरीजों का उपचार करने के बावजूद मौहल्ले के लोगों ने दूरी नहीं बनाई। बल्कि वे कहते हैं कि तुम जो कर रहे हो,सबके नसीब में नहीं है ऐसा करना।

खूब सेवा करो ओर लोगों को अच्छा करो। संयुक्त परिवार में रहने वाले डॉ.महेंद्र का अभी विवाह नहीं हुआ है। घर में माता-पिता के अलावा बड़े भाई,भाभी,भतीजे,छोटा भाई है। वे घर जाते हैं तो गर्म पानी से स्नान करके कपड़े धोते हैं। सामान सैनिटाइज करते हैं। इसके बाद माता पिता के पास जाते हैं। परिवार के साथ भोजन लेते हैं। अब दिनचर्या के नाम पर इतना ही रह गया है कि थककर आओ और खाना खाकर सो जाओ। समय होने पर पुन: ड्यूटी पर रवाना हो जाओ।

पति-पत्नी दोनों मरीजों के बीच कर रहे काम

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डॉ.अभिषेक जीनवाल

चरक भवन में कोरोना मरीजों के बीच लगातार ड्यूटी कर रहे शा.अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ.अभिषेक जीनवाल की पत्नि भी डॉ. हैं और वे इंदौर में फीवर क्लिनिक में सेवा दे रही हैं। दोनों रोजाना घर पहुंचकर एक दूसरे के हाल मोबाइल फोन पर जान लेते हैं और एक दूसरे को प्रेरणा भी देते हैं, ताकि सबकुछ ठीक चलता रहे। चरक भवन में नोडल अधिकारी डॉ.जीनवाल के अनुसार किताबों में पढ़ा था कि आपदा कैसी आई और किस प्रकार से प्रबंधन किया गया।

अब साक्षात देख रहे हैं कि यह आपदा कितनी विकट है और किस प्रकार से मशक्कत करना पड़ रही है। उन्होंने कहाकि कोविड वार्ड में सुबह से रात होने तक काम कर रहे हैं। घर जाते हैं तो आयसोलेट होकर नहाना, कपड़े धोना आदि करते हैं। उसके बाद माता-पिता के साथ कुछ समय बिताते हैं। अनुभव बताया कि लोग अभी भी मान नहीं रहे हैं। किसी न किसी बहाने घर से निकलते हैं, गलियों में छिपते हुए चरक भवन आ जाते हैं और अपने मरीज से मिलने की जीद करते हैं। उन्हें समझाते हैं कि हाईली रिस्की है वार्ड में जाना। यदि संक्रमित हो जाओगे तो घर जाकर परिवार को भी संक्रमित कर दोगे। यह हिडन वायरस है। दिखता नहीं है, लेकिन लग गया तो शरीर पर असर दिखाता है।

 

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