देश के अनेक हिस्सों से नए पथ के जरिए जुडऩे का आगाज
उज्जैन। आखिरकार वह दिन आ गया, जब गेज परिवर्तन के बाद उज्जैन-से फतेहाबाद होते हुए इंदौर तक का ट्रेन का ब्रॉडगेज पर सफर प्रारंभ हो रहा है। इस ट्रैक के श्रीगणेश से धार्मिक, सांस्कृतिक राजधानी उज्जैन का प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से नया मिलन होगा। देश के अनेक हिस्सों से नए पथ के जरिए जुडऩे का आगाज है। आने वाले दिनों में अन्य राज्य और शहरों से संपर्क की नई राह मिल जाएगी। विकास और खुशियों को पंख मिल जाएंगे।
उज्जैन-फतेहाबाद के बीच 22.96 किमी ब्रॉडगेज का काम पूरा हो गया है। मीटर गेज को ब्रॉडगेज में बदलने के लिए इस मार्ग पर 24 फरवरी 2014 से ट्रेन का संचालन बंद है। यह ट्रैक 15 नवंबर से खोल दिया जाएगा। इस पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। इस ट्रैक पर 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकेगी। इसके साथ ही उज्जैन से इंदौर व रतलाम जाने के लिए ट्रेन की दूरी तो कम होगी ही नए विकल्प भी मिलेंगे। अब महाराष्ट्र, गुजरात के साथ राजस्थान के लिए भी एक और मार्ग खुल जाएगा। इससे इंदौर-उज्जैन के बीच की दूरी 16 किमी कम होगी, किराया कम लगेगा, समय बचेगा। चिंतामण गणेश पर एक बड़ा स्टेशन व क्रॉसिंग स्टेशन बनाया गया है। फतेहाबाद में वायपास का निर्माण किया गया। जिससे इंदौर जाने वाली ट्रेनें इंदौर और रतलाम की ओर जाने वाली ट्रेनें बडऩगर होकर जा सकेंगी। इस रुट पर फतेहाबाद के समीप वाय ट्रैक बनाया है। इससे इंदौर और रतलाम के दोनों रूट पर एक साथ ट्रेन का संचालन सुलभ हो जाएगा।
छात्रों और अपडाडनर्स को लाभ
उज्जैन से बड़ी संख्या में पढ़ाई के लिए छात्र और नौकरी पेशा लोग प्रतिदिन बस, निजी वाहन या ट्रेन से देवास होते हुए अप-डाउन करते है। मीटरगेज के संचालन के दौरन उज्जैन-फतेहाबाद-इंदौर से विद्यार्थी भी अप-डाउन कर लेते थे। नौकरी पेशा भी इसी ट्रेन के भरोसे थे। उज्जैन-फतेहाबाद-इंदौर टै्रक पर अब फिर से ट्रेन का संचालन इनके लिए राहत देने वाला है।
18 गांवों में विकास की रफ्तार
उज्जैन से फतेहाबाद के बीच में पडऩे वाले 18 गांवों में विकास की रफ्तार तेज हो जाएगी। जवासिया, हासामपुरा, बिंद्राजखेड़ा, गोंदिया, लिंबा पिपल्या, लेकोड़ा, राणाबड़, कांकरिया, खेड़ा, चिराखान, शिवपुरा खेड़ा, रालामंडल, टंकारिया, टकवासा, ऐरवास, तालोद, हासामपुरा, नीलकंठ, झारोलिया, मुंडला सुलेमान आदि गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा।
16 किमी कम यात्रा करना होगी
उज्जैन से इंदौर के लिए फिलहाल एक ही रूट देवास होते हुए 79 किमी का है। इस पर यात्रियों को करीब दो घंटे का समय लग रहा है। उज्जैन से इंदौर व्हाया फतेहाबाद की दूरी 63 किमी है। इसके पूरे होने से उज्जैन-फतेहाबाद-इंदौर-देवास-उज्जैन सर्किल बन जाएगा। इससे उज्जैन-इंदौर के लिए दो रूट मिल जाएंगे। व्हाया फतेहाबाद जाने पर 16 किमी कम यात्रा करना होगी।
सर्किल ट्रेन रूट मिलेगा
उज्जैन-फतेहाबाद ब्रॉडगेज के प्रारंभ होने के बाद उज्जैन-इंदौर के लिए सर्किल ट्रेन रूट मिलेगा, जो मेट्रो की तरह काम करेगा। उज्जैन-देवास-इंदौर लाइन का दोहरीकरण होने पर सर्किल ट्रेन रूट तैयार हो जाएगा। इस पर उज्जैन-देवास-इंदौर-फतेहाबाद-उज्जैन और उज्जैन-फतेहाबाद-इंदौर-देवास-उज्जैन के लिए दो सर्किल ट्रेन का संचालन मेट्रो की तर्ज पर किया जा सकता है।
दूध, सब्जी इंदौर के साथ अन्य राज्य भी जाएंगे
किसानों को सिंघाड़े ट्रक या मैजिक के जरिए नहीं भेजने होंगे। हर साल नवरात्रि से देवउठनी एकादशी तक इस रूट पर लेकोड़ा गांव के तालाब से उपजे सिंघाड़े अहमदाबाद और सूरत भेजते थे। जब से ट्रेन बंद हुई उन्हें सड़क मार्ग से भेज रहे हैं। एक हजार लीटर दूध इंदौर, उज्जैन भेजते थे। रेल प्रारंभ होने से आने वाले दिनों में किसानों को इसके लिए साधन मिल जाएंगे।
दूसरे राज्यों से नया संपर्क, महाराष्ट्र-दक्षिण भारत आएंगे करीब
उज्जैन-फतेहाबाद ब्रॉडगेज के कारण उज्जैन का महाराष्ट्र, गुजरात के साथ राजस्थान के लिए भी नया मार्ग और एक और मार्ग खुल जाएगा। पहले मीटरगेज काल में उज्जैन का रेल संपर्क खंडवा होते हुए दक्षिण भारत से था। फिलहाल महू (आंबेड़कर नगर) से खंडवा के लिए गेज परिवर्तन का काम चल रहा है। इसके साथ ही देवास-दाहोद व्हाया इंदौर-पीथमपुर नई लाइन का काम चल रहा है। इसके पूर्ण होते ही उज्जैन का महू होते हुए दक्षिण भारत और गुजरात-महाराष्ट्र एक और संपर्क मार्ग मिल जाएगा।
गांव है तो राम है
उज्जैन-फतेहाबाद रूट प्रारंभ होने से खुश रेशमबाई पांचाल का कहना है इससे शहर की तो ठीक गांवों की तरक्की होगी। गांवों के विकास से देश बढ़ता है। गांव है तो राम है..वरना कुछ नहीं। रेल के चलने से बहुत फायदा होगा। रुपया और टाइम भी बचेगा। वे बताती है कि हमने वह समय भी देखा है, जब अंग्रेजों के शासन मे पटरी की गिट्टी जरा भी बिखर जाती या इधर-उधर होती तो अंगे्रज पुलिस पकड़कर ले जाती थी। जुर्माना भी देना पड़ता था, नहीं तो सजा मिलती थी।
चिंतामण स्टेशन पर पहली ट्रेन का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन
उज्जैन में श्री गणेश का पवित्र तीर्थ चिंतामण गणेश मंदिर के रूप में स्थापित है। यह स्थान उज्जैन से करीब 6 किलोमीटर दूर फतेहाबाद रेलवे लाइन के पास स्थित है। चिंतामण गणेश मंदिर के पुजारी पं. शंकर गुरु ने बताया कि चिंतामण गणेश मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर श्री गणेश तीन रूप में एक साथ विराजमान है। यह तीनों स्वरूप चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में जाने जाते हैं। कहते हैं कि इनमें से चिंतामण गणेश चिंताओं को दूर करते हैं, इच्छामण इच्छाओं की पूर्ति करते हैं और सिद्धिविनायक रिद्धि-सिद्धि देते हैं। ये भी माना जाता है कि गणेश जी की ऐसी अद्भुत और अलौकिक प्रतिमा देश में शायद और कहीं नहीं है।
गणेश चतुर्थी, तिल चतुर्थी और प्रत्येक बुधवार को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार को यहां मेला भी लगता है। मनोकामना पूर्ण होने पर हजारों श्रद्धालु दूरदराज से मंदिर तक पहुंचते हैं। पं. राजेश पुजारी का कहना है कि रेल सुविधा के प्रारंभ होने से क्षेत्र के हजारों गांववासियों, किसानों को तो लाभ होगा। भगवान गणेश के लाखों करोड़ों भक्तों को आने-जाने की सुलभ, आसान सुविधा मिल जाएगी। सोमवार को मंदिर में भगवान गणेश के विशेष पूजन के बाद चिंतामण स्टेशन पर उज्जैन और इंदौर से आने वाले पहली ट्रेन का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन होगा। स्टेशन स्टॉफ और रनिंग स्टॉफ का स्वागत किया जाएगा।
विकास आसान होगा
ग्राम टंकारिया के सोहन पटेल का कहना है कि वे ही नहीं २०-२२ गांव के लोग ट्रेन के चलने से खुश है। गांवों का विकास होगा। रेलवे को केवल सुबह-शाम को ही नहीं दिनभर ट्रेन की सुविधा मिले ऐसा टाइम-टेबल बनाना चाहिए। केवल इंदौर-उज्जैन ही नहीं अन्य प्रमुख ट्रेनों का संचालन इस रेल मार्ग से होना चाहिए।
स्टेशन तक जाएगा कैसे…?
ट्रेन के चालू होने से अनेक लोग खुश है। ऐसे भी लोग है, जो व्यवस्थाओं से संतुष्ठ नहीं है। ट्रैक पर एक लेकोड़ा स्टेशन भी है। गांव से स्टेशन की दूरी करीब 3 किमी और पंचक्रोशी मार्ग से लगभग पांच किमी दूर है। दोनों मार्ग कच्चे और खस्ताहाल है। लेकोड़ा के सुभाष पटेल और हुकूमचंद चौधरी कहते हंै कि रेल चली री है अच्छी बात है पर लोग स्टेशन तक जाएगा कैसे…? सड़क तो है कौनी..कित्ती बार सबके कईदी पर कोई सुने नी…। सब आए ने सड़क बनावां की बोले पर होए कई नी…..। तम जई के देखों….। वाकई सड़कों की हालत काफी खराब है।
यह कहना है जनप्रतिनिधियों का
हमेशा प्रयास किए : ट्रैक के कार्यों को गति देने के साथ-साथ इसे जल्द से जल्द प्रारंभ करने के लिए सांसद बनने के बाद से लगातार प्रयास किए। प्रोजेक्ट का लाभ उज्जैन को मिले इसके लिए रेल मंत्री और रेल अधिकारियों के साथ लगातार बैठके की इसका परिणाम है कि यह रेलमार्ग प्रारंभ हो रहा है। प्रयास है कि ट्रैक पर इंदौर-उज्जैन पैसेंजर के अलावा अन्य यात्री गाडिय़ों का संचालन किया जाए।
अनिल फिरोजिया, सांसद
प्रोजेक्ट रद्द हो गया था: क्षेत्र से मीटर गेज लाइन बंद करने के बाद अधिकारियों ने रतलाम-इंदौर का गेज परिवर्तन स्वीकृत कर दिया था, परंतु उज्जैन-फतेहाबाद को अनपयोगी मानते हुए निरस्त कर दिया गया था। मेरे लगातार प्रयास से तात्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने २४५ करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। प्रो. चिंतामणि मालवीय, पूर्व सांसद
सबसे पहली स्वीकृति: मीटर गैज पर ट्रेनों का संचालन तो 2014 में बंद हुआ, लेकिन इसके पूर्व ही 2013 में संसद के शीतकालीन सत्र में मेरी मांग पर तात्कालीन रेल मंत्री पवन बंसल ने उज्जैन-फतेहाबाद लाइन के लिए 93 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे।
प्रेमचंद गुड्डू, पूर्व सांसद