उज्जैन बना आई फ्लू के संक्रमण का केंद्र… बाहर से आ रहे श्रद्धालु हो रहे पीडि़त…
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर में कोरोना की तर्ज पर तेजी से फेल रहे आई फ्लू जिसे कंजिक्टिवायटीस के रूप में भी जाना जाता है, बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं को संक्रमित करके संक्रमण फैलाने का केंद्र बनता जा रहा है।
इस मामले में स्वास्थ विभाग चुप्पी साधे बैठा है। विभाग स्तर पर जनजागरूकता के प्रयास केवल मीडिया में परिपत्र भेजकर पूरे किए जा रहे हैं। जबकि बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रमुख धार्मिक स्थलों पर दवाई का इंतजाम तो किया जाए? जनजागरूकता हेतु पोस्टर/बेनर तो लगाए जाएं।
महाकाल लोक बनने के बाद महाकाल मंदिर सहित शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर प्रदेश ओर प्रदेश के बाहर के शहरों से श्रद्धालुओं का तेजी से आगमन हो रहा है। श्रावण एवं अधिक मास होने के कारण भी 84 महादेव मंदिर और सप्त सागरों पर पूजन हेतु बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। महाकाल की सवारी देखने भी हजारों श्रद्धालु आ रहे हैं। इधर शहर में कोरोना की तर्ज पर आई फ्लू तेजी से फेल रहा है। शासकीय अस्पताल सहित प्रायवेट क्लिनिकों पर आंखों की बीमारी से संक्रमितों की भीड़ लगी हुई है। शहरभर में लोगों की आंखों पर चढ़े धूप के चश्मे लगाते दिख जाएंगे। स्कूलों के भी यही हालात हैं।
इस बीच बाहर से आनेवाले श्रद्धालु चर्चा में बताते हैं कि वे दर्शन करने आए तो अच्छे-भले थे। 24 घंटे के भीतर उनकी आंखें लाल हो गई, जलन होने लगी, पानी बहने लगा और उसके बाद सूजन भी आ गई। ऐसे में वे उपचार के लिए क्लिनिक ढूंढते नजर आ रहे हैं।
अस्पतालों में भी आ रहे श्रद्धालु
चरक भवन स्थित नेत्र विभाग में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.आभा जैथलिया ने चर्चा में बताया कि रोजाना ओपीडी में बाहर से आनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ रही है। वे बताते हैं कि उनके शहर में बीमारी नहीं है। यहां आकर हो गई है। ऐसे श्रद्धालुओं का उपचार कर दवाई लिख रहे हैं।
जागरूकता फैलानी होगी
डॉ.जैथलिया के अनुसार उज्जैन में जिस प्रकार रोजाना हजारों श्रद्धालुओं का आना हो रहा है, उसे तो आने से रोक नहीं सकते। लेकिन शहर के प्रवेश र्माों पर, प्रमुख धार्मिक स्थलों पर, अत्यधिक भीड़ वाले क्षेत्रों, होटल्स, रेस्टोरेंट आदि पर जागरूकता फैलाने हेतु पोस्टर्स/बेनर्स का उपयोग किया जाना चाहिए। इसमें बीमारी के लक्षण/सावधानी तथा उपचार के लिए पता आदि की जानकारी दी जानी चाहिए। ताकि बाहर से आनेवाले श्रद्धालु इस बीमारी से पीड़ीत होने के बाद अपना उपचार करवा सके। सावधानी रख सके। वरना श्रद्धालु बस या ट्रेन से सफर के दौरान अन्य शहरों के लोगों तक इस संक्रमण को फैला देंगे।