न रैन बसेरा में आसरा दिया और न ही कोई सुध लेने आया
बेघर हुए गरीबों ने कहा…देवासगेट टीआई और निगम इंजीनियर को भगवान माफ नहीं करेंगे
उजड़ गया रहने का आसरा, बचा तो सिर्फ मलबा…
उज्जैन। नगर निगम और पुलिस के बेरहम अफसरों ने चंद रुपयों में बिककर हमारे वर्षों पुराने मकानों को तोड़ दिया…एसपी से शिकायत की तो उन्होंने रैन बसेरे में ठहराने व उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन हमने अपने ही घरों के मलबे के ढेर पर सर्द रात गुजारी न कोई सुध लेने आया और न ही किसी ने सहारा दिया। आगे क्या होगा हमें भी नहीं पता लेकिन अपने पुश्तैनी मकानों को छोड़कर नहीं जाएंगे।
यह था मामला
नगर निगम, पुलिस और राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त कार्रवाई करते हुए गुण्डे बदमाशों के मकान तोडऩे की कार्रवाई की जा रही है। मंगलवार को उक्त विभागों की टीम सरदारपुरा स्थित चाल में रहने वाले बदमाश नन्ना उर्फ नन्नू यादव का मकान तोडऩे पहुंची। उसके मकान के आसपास 4 अन्य जर्जर मकान भी तोड़ दिये। इस दौरान यहां रहने वाले लोग अफसरों के हाथ जोड़कर गुहार लगाते रहे लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
एसपी की फटकार भी काम न आई
नगर निगम द्वारा मकान टूटने से प्रभावित लोगों को कहना है कि वे कार्रवाई के बाद पुलिस कंट्रोल पहुंचे थे और एसपी को सभी तथ्यों से अवगत कराया था। इन लोगों कका आरोप है कि देवासगेट थाना प्रभारी राममूर्ति शाक्य द्वारा गलत जानकारी देने के कारण नगर निगम ने गलत तरीके से मकान तोड़े हैं। जबकि बदमाश नन्नू यादव जेल में बंद है और उसके नाम कोई मकान भी नहीं है। प्रभावितों का कहना है कि एसपी शुक्ला ने नगर निगम के भवन अधिकारी को फटकार लगाने के साथ इसकी शिकायत कलेक्टर से करने की बात कही थी। एसपी ने प्रभावितों के रहने की व्यवस्था करने के निर्देश निगम के अधिकारियों को दिए थे। इसका पालन नहीं किया गया।
सर्द रात में अलाव जलाया…
किसी ने नहीं दिया सहारा…
सर्द रात में महिलाएं, बच्चे, वृद्ध अलाव जलाकर घर के मलबे के बाहर बैठे रहे। उन्हें आस थी कि कोई सुध लेने आयेगा लेकिन सुध लेना तो दूर खाना भी सड़क पर बनाया। घर का सामान भी मलबे में दबा है। मकान टूटने के सदमे में एक वृद्धा रात भर सर्द रात में मलबे के ढेर पर ही पड़ी रही। उनकी हालत बिगड़ रही थी, परिजन चिंतित थे लेकिन वह मलबे के ढेर से उठने को तैयार नहीं थी।
थाना प्रभारी ने रुपये लेकर झूठी रिपोर्ट नगर निगम को दी
देवासगेट थाना प्रभारी राममूर्ति शाक्य को पता था कि नन्ना यादव जेल में बंद है। जिस मकान में वह रहता था वह मकान उसके दादा शंकरलाल यादव के किराये का मकान था, जबकि पुलिस द्वारा गुण्डे बदमाशों के नाम की संपत्ति को तोड़ा जा रहा है, ऐसे में टीआई शाक्य ने नगर निगम को झूठी जानकारी देकर नन्ना के मकान को तोडऩे का पत्र लिखा।
मनीष नंदवाल, रहवासी
मैं घर में खाना बना रही थी। मेरा न तो पति है न बेटा। अकेली रहती हूं। सिलाई कर अपना गुजारा करती हूं। नगर निगम ने मकान तोडऩा शुरू किया तो मैं बहुत गुहार लगाई और बताया कि मेरा किसी से कोई लेनादेना नहीं है बावजूद इसके उन्होंने मकान के साथ सिलाई मशीन भी तोड़ दी अब मेरे सामने घर के साथ रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है।
भागवंती खत्री, रहवासी
नगर निगम के कतिपय अधिकारियों द्वारा मनमानी की गई है। उनके अधीनस्थ काम करने वाले संगीता पंवार और रायकवार के नोटिसों का जवाब हम दे चुके थे। दूसरे नोटिस का जवाब भी देते लेकिन उस नोटिस में न तो दिनांक थी और न ही जावक क्रमांक ऐसे में फर्जी नोटिस का क्या जवाब देते।
अर्पिता यादव, रहवासी
फर्जी नोटिस का आरोप
नगर निगम द्वारा 25 अक्टूबर को उक्त चाल में रहने वाले लोगों को नोटिस जारी किया गया जिसमें जावक क्रमांक और दिनांक लिखे थे इसका जवाब रहवासियों ने दे दिया। इसके बाद दूसरा नोटिस भेजा जिसमें न तो जावक क्रमांक था और न ही दिनांक। भवन अधिकारी के साइन वाले इस फर्जी नोटिस का जवाब रहवासी देते उसके पहले नगर निगम ने उनके मकान तोड़ दिये।