उज्जैन : महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय का संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र में निदेशक की अवैध नियुक्ति को निरस्त करने का फरमान

कार्यपरिषद के अनुमोदन को गलत माना उच्च शिक्षा विभाग ने…
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उज्जैन। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षण-प्रशिक्षण एवं ज्ञान-विज्ञान संवर्धन केंद्र में नियम विरूद्ध की गई निदेशक की नियुक्ति को अवैध माना गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने कार्यपरिषद के अनुमोदन को अनुचित मानते हुए अवर सचिव उच्च शिक्षा विभाग ने निदेशक की नियुक्ति को निरस्त करने का फरमान महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव को दिया है।
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षण-प्रशिक्षण एवं ज्ञान-विज्ञान संवर्धन केंद्र में डॉ. मनमोहन उपाध्याय की नियुक्ति की गई थी। नियुक्ति पर पहले ही दिन से सवाल खड़े हो रहे थे। इस मामले में शिकायत के बाद विवि के कुलसचिव को अवर सचिव उच्च शिक्षा विभाग ने अभिलेख/ अभिकथन के लिए भोपाल तलग किया था। इसमें मामले में भारी विसंगतियां सामने आने के बाद गंभीर गड़बड़ी उजागर होने पर अवर सचिव उच्च शिक्षा विभाग वीरन सिंह भलावी ने डॉ. मनमोहन उपाध्याय की नियुक्ति को निरस्त करने के निर्देश जारी किए हैं।
बताया जाता है कि निदेशक का पद प्रोफेसर स्तर का होता है। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की योग्यता नहीं होने के बाद भी डॉ. मनमोहन उपाध्याय की नियुक्ति के लिए अर्हता/योग्यता बदलाव किया गया। साथ ही निदेशक पद पर नियुक्ति के लिए शासन से अनुमति नहीं ली।
यह खास गड़बड़ी की
- निदेशक का पद पर नियुक्ति के संबंध में जारी विज्ञापन और साक्षात्कार की कार्यवाही विभागीय सहमति तिथि से पूर्व की गई
- अर्हता/ योग्यता का जो प्रस्ताव विद्यापरिषद द्वारा कार्यपरिषद के अनुमोदन के लिए प्रेषित किया गया, उसमें डॉ.मनमोहन उपाध्याय की पत्नी डॉ. पूजा उपाध्याय उस समय सदस्य थी।
- अनुमोदन के लिए आयोजित कार्य परिषद की बैठक में कुलाधिपति (राज्यपाल) द्वार नामांकित एक भी सदस्य उपस्थित नहीं था।
इनका कहना : इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश अनुसार प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
डॉ. दिलीप सोनी, कुलसचिव, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि