Sunday, October 1, 2023
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उज्जैन मास्टर प्लान 2035 अवलोकन के लिए रखा ऑफिसों में

अधिसूचना और बयान से संशय

उज्जैन मास्टर प्लान 2035 अवलोकन के लिए रखा ऑफिसों में

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:लंबी कवायद के बाद उज्जैन मास्टर प्लान 2035 लागू कर दिया गया है,लेकिन इसे लेकर संशय खड़ा हो गया है। दरअसल मास्टर प्लान अधिसूचना जारी होने के बाद प्लान में बदलाव को लेकर सीएम के बयान से संशय की स्थिति निर्मित हो गई है।

उज्जैन मास्टर प्लान 2035 के लागू होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान सामने आया है। सीएम ने कहा कि जरूरत पड़ेगी तो मास्टर प्लान में बदलाव किया जाएगा। सिंहस्थ आयोजन में किसी तरह की असुविधा नहीं होने दी जाएगी। इसके दो दिन बाद ही नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा २६ मई २०२३ को मास्टर प्लान की अधिसूचना के संबंध में अनुमोदित योजना के लिए निरीक्षण-अवलोकन की सूचना जारी कर दी। इसके प्लान की स्थिति पर संशय हो रहा है।

463 आपत्तियां आई थी

बता दें कि सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी और दाऊदखेड़ी क्षेत्र की भूमि को आवासीय करने पर की आपत्तियां सामने आई थीं। यह भूमि सिंहस्थ के लिए उपयोगी बताई गई थी। मास्टर प्लान लागू होने के बाद सरकार पर सवाल खड़े हो रहे थे।

उज्जैन विकास योजना 2035 के लिए गठित समिति जब नगर तथा ग्राम निवेश विभाग को प्राप्त 463 आपत्तियों का निराकरण करने बैठी थी तो उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव हुआ था। मसला सिंहस्थ क्षेत्र सांवराखेड़ी व जीवनखेड़ी को आवासीय करने का था। कुछ जनप्रतिनिधि इसके विरोध में थे।

सिंहस्थ क्षेत्र से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं

मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ मेला क्षेत्र को कम करने और मेला क्षेत्र में कॉलोनियों की अनुमति देने के प्रस्ताव का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पूर्व में विरोध कर चुकी है। इधर नया मास्टर प्लान लागू होने के संबंध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि मास्टर प्लान में जो विसंगतियां हैं, उसे दूर कराएं।

सिंहस्थ मेला 2028 आने वाला है और इसमें करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। साधु-संतों के भी कई शिविर बढ़ते ही जा रहे हैं, ऐसे में मुख्यमंत्री उज्जैन के मास्टर प्लान 2035 में क्षेत्र को लेकर जो गड़बडिय़ां है, उसे दूर करें और सुधार कर पुन: मास्टर प्लान लागू करें।

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी नगर का मास्टर प्लान उस नगर के विकास की धुरी होता है। उसी से नए विकास कार्य क्षेत्र निर्माण कार्यों के द्वार खुलते हैं। ऐसा ना हो कि अधिकारी सनातन परंपरा को ही नष्ट करते जाएं। उन्होंने मास्टर प्लान पर पुनर्विचार करने का निवेदन सीएम से किया है।

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