Wednesday, May 31, 2023
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उज्जैन:11 साल पहले 10 करोड़ रुपए का बीज घोटाला

11 साल पहले 10 करोड़ रुपए का बीज घोटाला, वरदान सीड्स एंड एग्रोटेक का मालिक गिरफ्तार

कागजों पर बता दिया था किसानों को बीज उत्पादक मामले में हुए थे 24 किसानों के बयान

उज्जैन।वरदान सीड्स एंड एग्रोटेक ने 11 साल पहले कागजों पर किसानों को बीज उत्पादक बताया और बाजार से अनाज खरीदकर उसे बीज के रूप में पैक कर तीन गुना ज्यादा दाम पर बेच दिया गया था। जांच में करीब १० करोड़ रु. का घोटाला सामने आया था।

आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने बीज घोटाले के मुख्य आरोपी महानंदा नगर निवासी लोकेंद्र सिंह राजपूत को गिरफ्तार कर लिया। लोकेंद्र सिंह राजपूत वरदान सीड्स एंड एग्रोटेक के नाम से कंपनी चलाता है। गिरफ़्तारी के बाद इसे जेल भेज दिया गया है।

वरदान सीड्स एंड एग्रोटेक मालिक लोकेंद्र सिंह राजपूत ने जिले के करीब 500 से ज्यादा किसानों के नाम से कागजों पर ही हजारों क्विंटल बीज उगवा दिया और कागजों पर ही इसका प्रमाणीकरण करवा कर किसानों को बेच दिया। लोकेंद्र सिंह ने मक्सीरोड स्थित पुरानी डालडा फैक्ट्री के गोदाम को किराए पर लेकर यहां बीज का स्टाक किया हुआ था।

11 साल पहले 11 मार्च 2011 को जिला प्रशासन, बीज प्रमाणीकरण विभाग और आर्थिक अपराधा शाखा के अधिकारियों की टीम ने इस गोदाम पर छापामार कार्यवाही की थी। आर्थिक अपराध शाखा और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कंपनी द्वारा किराए पर लिए गए गोदाम की जांच की तो यहां उन्हें 24 हजार 840 क्विंटल अनाज मिला। कंपनी द्वारा बताये गए स्टाक में 16 हजार क्विंटल अनाज कम था।

3 गुना ज्यादा दाम पर बेचा जाता बीज

बीज बेचने वाली कोई भी कंपनी सरकार के नियमों से किसानों से अनुबंध कर उनसे बीज का उत्पादन कराती है। समय-समय पर बीज प्रमाणीकरण अधिकारी इसकी जांच करते है। उत्पादित बीज प्रमाणित होने के बाद इसे अनाज से लगभग 3 गुना ज्यादा दाम पर बेचा जाता। लोकेंद्र सिंह राजपूत की कंपनी वरदान एग्रोटेक ने भी 2011 में जिले के लगभग 500 किसानों के साथ बीज उत्पादन का अनुबंध दर्शाया था।

दो बीज प्रमाणीकरण अधिकारी भी आरोपी

वरदान एग्रोटेक कंपनी के मामले में दो बीज प्रमाणीकरण अधिकारी दयाराम भावेल और राकेश यादव को भी आरोपी बनाया गया है, उनकी भी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। इनके साथ मिलकर किसानों के फर्जी आवेदनों के आधार पर लाखों के बीज की कालाबाजारी इनके द्वारा की गई थी। 124 किसानों के बयान दर्ज किए गए, सभी कागज पर बीज उत्पादक बताए गए लेकिन इन्होंने कभी कंपनी के लिए बीज उगाया ही नहीं था।

बताया जाता है कि इन दोनों अधिकारियों ने 500 से अधिक किसानों के नाम पते निकाल कर उनके नाम से खरीदे गए बीज का प्रमाण पत्र जारी किया था। कंपनी ने इसीको आधार बनाकर तीन गुना दामों में बीजों का विक्रय इंदौर-उज्जैन संभाग के कई गांवों में कर दिया था। मामले का खुलासा फसल नहीं होने पर हुआ।

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