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उज्जैन:BJP सही कारणों का पता लगाने में जुटी

कम मतदान और मतदाता पर्ची वितरण नहीं होने का मसला

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वरिष्ठ नेताओं से चर्चा

उज्जैन.नगर निगम चुनाव में कम मतदान और मतदाता पर्ची वितरण नहीं होने का बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। इस मामले में जनप्रतिनिधि भले राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासन को आड़े हाथों ले रहे, लेकिन चुनाव में कम मतदान ने भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ा दी है।

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पार्टी तह में जाकर हकीकत तलाशने में जुट गई। इसके लिए दल के वरिष्ठ नेताओं से जानकारी ली गई है, वहीं यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर संगठन के कार्यकर्ता, बूथ कमेटी के पदाधिकारी और प्रत्याशी मतदाताओं को घर से निकालने में क्यों असफल रहे।


सूत्रों के मुताबिक कम मतदान ने जहां भाजपा प्रत्याशियों की जीत-हार को संशय में डाल दिया है, वहीं आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। कम मतदान के लिए संगठन के नेता जनप्रतिनिधि अभी तक तो राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासन दोषी बता रहे हैं, लेकिन अब पार्टी को लगने लगा है कि कहीं न कहीं यह संगठन की भी असफलता है।

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यही वजह है कि पार्टी स्तर पर भी इसके कारण जानने का प्रयास किया जा रहा है। संगठन यह भी जानने का प्रयास कर रहा है कि क्या पार्टी के कार्यक्रमों का सही तरीके से आयोजन नहीं किया गया। इसके लिए प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों द्वारा जानकारी ली गई है। इसके अलावा सभी जिलों से और चुनाव प्रभारियों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है ताकि किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।

स्थानीय इकाई के कई फैसले जिम्मेदार

फिलहाल संगठन के नेता मतदाता पर्ची न बंटने के अलावा मौसम और वर्षा को भी कम मतदान का एक कारण बता रहे हैं। हालांकि, पार्टी का एक धड़ा कहता है कि कम मतदान के लिए पार्टी की स्थानीय इकाई के कई फैसले जिम्मेदार हैं। इनमें एक वजह कुछ प्रत्याशियों के प्रति कोई आकर्षण और उत्साह का न होना भी है।

दूसरा बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार मतदाताओं को यह समझा नहीं पाई कि मतदान क्यों जरूरी है। एक बड़ी वजह स्थानीय संगठन के कुछ पदाधिकारियों के प्रति आक्रोश को भी माना जा रहा है।

यह कारण भी सामने आए

सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठों ने अपने-अपने चहेतों को टिकट दिला दी और ऐसे प्रत्याशी जनता की नजर में योग्य नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने मतदान न कर अपना विरोध जताया।

कुछ वार्डों में पात्र कार्यकर्ता को टिकट देने से टिकट से वंचित दावेदार और उनके समर्थक नाराज हो गए। सामान्य वर्ग का हक मारकर अन्य वर्ग को टिकट देने से कार्यकर्ता नाराज हो गए। ऐसे ही कारण अमूमन हर सीट पर नजर आए।

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