उज्जैन। गुरुवार को एमआईसी की बैठक में महापौर परिषद ने आगामी २३ अप्रैल से एक दिन छोड़ जल प्रदाय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसका कांग्रेस पार्षदों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि नर्मदा का पानी जब उज्जैन लाया जा सकता है तो फिर जल प्रदाय में यह कटौती क्यों? इस फैसले को कांग्रेस पार्षद भाजपा बोर्ड का शहर में कृत्रिम जल संकट उत्पन्न करने वाला करार दे रहे हैं।
कहा-जब नर्मदा का पानी उज्जैन आ सकता है तो फिर कटौती क्यों
नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रवि राय ने कहा कि भाजपा बोर्ड ने जल संकट से निपटने की वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर २३ अप्रैल से शहर में एक दिन छोड़कर जल सप्लाई करने का निर्णय लिया है। यह शहर की जनता को कष्ट देने वाला फैसला है। गर्मी के दिनों में हर व्यक्ति को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है।
वहीं महाकाल लोक लोकार्पण के बाद से शहर में देशी-विदेशी पर्यटक और श्रद्धालुओं के साथ-साथ शहरवासियों के यहां मेहमानों का आगमन भी पहले से बढ़ गया है। अधिकतर हैंडपंप बंद पड़े हुए हैं, कुएं और बावडिय़ों से जल सप्लाई की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। साथ ही टैंकरों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है।
ऐसी स्थिति में जल प्रदाय के दूसरे दिन नागरिक किस तरह पानी की व्यवस्था करेंगे। सत्ता पक्ष ने कांग्रेस पार्षदों के साथ भी इस विषय पर भी विचार विमर्श नहीं किया और यह निर्णय ले लिया। दूसरी ओर महापौर दावा कर रहे है कि शहर में नर्मदा के पानी से जल प्रदाय किया जा सकता है।
ऐसे में एक दिन छोड़ जल प्रदाय का निर्णय लेना उनके इस दावे की पोल खेलता है। कांग्रेस पार्षद दल ने एक दिन छोड़कर जल सप्लाय कर विरोध करते हुए महापौर से आग्रह किया कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक एक दिन छोड़कर जल सप्लाय का निर्णय तत्काल निरस्त करें।