Friday, September 22, 2023
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कब है अक्षय तृतीया जानें इसकी पूजा विधि व महत्व

हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया (आखा तीज) का त्योहार मनया जाता है. अक्षय अर्थात कभी न खत्म होने वाली खुशी, जिसका क्षय न हो, शाश्वत, सफलता और तृतीया यानी ‘तीसरा’. इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार 22 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा.

कहते हैं इसी दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था. धार्मिक दृष्टि से अक्षय तृतीया का दिन धनतेरस और दीपावली के समान पुण्यफलदायी माना गया है. इस दिन शुभ और मूल्यवान वस्तुओं की खरीदी की जाती है.

महत्व

अक्षय तृतीया (अखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

शनिवार 22 अप्रैल 2023 सुबह 7:00 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रहा है. और अगले दिन 23 अप्रैल 2023 दिन रविवार को सुबह 7:00 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो रहा है. ऐसे में अक्षय तृतीया का यही शुभ मुहूर्त है. इसी शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें.

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया ?

भविष्य पुराण के अनुसार सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ अक्षय तृतीया तिथि को हुआ और द्वापर युग की समाप्ति भी इसी तिथि को हुई थी. सतयुग में भगवान विष्णु ने मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह और नृसिंह अवतार लिया था, वहीं अधर्म पर धर्म की जीत पाने के लिए त्रैतायुग में भगवान विष्णु ने वामन, परशुराम और भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लिया. ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन श्रीहरि के परशुराम अवतार की उपासना करने वालों को कभी पितरों का आशीर्वाद मिलता है और इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं.

दान से मिलेगा अक्षय फल

अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है. कहते हैं कि इस दिन दान कर्म करने वालों को मृत्यु के बाद यमराज के दंड का पात्र नहीं बनना पड़ता.

पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें। इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

अक्षय तृतीया के दिन क्या खरीदें

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का प्रावधान है। इस दिन सोना खरीदना काफी शुभदायक और फलदायी होता है। इससे घर में सुख समृद्धि की अपार वृद्धि होती है। लेकिन सोना खरीदना सभी के लिए संभव नहीं है, इसलिए जो व्यक्ति सोना, चांदी आदि खरीदने में असमर्थ हैं वो जौ खरीद सकते हैं एवं भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की इससे पूजा कर सकते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद जौ को एक लाल कपड़े में बांधकर घर की तिजोरी या पैसे वाले स्थान में रख लें। इससे आपके धन धान्य में वृद्धि होगी।

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