कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई
सबसे ज्यादा शिकायतें आयुष्मान कार्ड की
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:वैसे तो सभी शासकीय विभागों में जनसुनवाई अनिवार्य है, लेकिन आम लोगों का विश्वास कलेक्टर कार्यालय में होने वाली जनसुनवाई के प्रति अधिक है। यहीं वजह है कि प्रति मंगलवार को यहां शिकायत देने वालों की संख्या अधिक रहती है। मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में हुई जनसुनवाई में सुबह के समय जितने भी आवेदन प्राप्त हुए उसमें सबसे अधिक संख्या आयुष्मान कार्ड से संबंधित थी।
मंगलवार को आयोजित कलेक्टर जनसुनवाई में सबसे ज्यादा शिकायतें आयुष्मान कार्ड से संबंधित रही। किसी की मां बीमार है तो कोई स्वयं के इलाज के लिए आयुष्मान बनवाने के लिए भटक रहा है। लेकिन स्थिति यह है कई बार आवेदन करने के बाद भी सुनवाई नहीं हो पा रही है। आवेदक संजू छापोला ने बताया कि उसकी माता को कैंसर हो गया है। जिसके इलाज के लिए उसे आयुष्मान कार्ड बनवाना है। स्वास्थ विभागों के चक्कर काटने के बाद अब उन्हें कलेक्टर जनसुनवाई में आना पड़ा।
विभागों में सुस्ती
सरकारी विभागों के दफ्तरों में जोरशोर से शुरू की गई जनसुनवाई को लेकर एक बार फिर लापरवाही नजर आने लगी है। ज्यादातर सरकारी विभागों में या तो जनसुनवाई बंद कर दी गई है या जहां हो रही है वहां भी सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है।
किसी व्यक्ति को यदि आवेदन करना भी होता है, तो वह संबंधित विभाग की बजाय कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में जाना उचित मानता है। जनसुनवाई को लेकर आमजन उदासीन भी हो गए हैं। वे समझ गए हैं, कि जनसुनवाई में समस्या का तत्काल समाधान सिर्फ एक नारा है। संभागायुक्त कार्यालय, जिला मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय, पुलिस कंट्रोल रुम, एसपी कार्यालय, नगर निगम और यूडीए यह उन सरकारी जगहों के नाम हैं, जहां किसी समय जनसुनवाई में अच्छी खासी भीड़ होती थी।
प्रत्येक मंगलवार इन जगहों पर लोगों का हुजूम उमड़ता था ताकि वे अपनी शिकायतें, दिक्कतें अधिकारियों को बता सकें और समाधान पा सकें, लेकिन इन दिनों इन सभी जगहों पर मंगलवार को सन्नाटा पसरा रहता है। नियम बनाया गया था कि जनसुनवाई में संबंधित यूनिटों के प्रमुख भी मौजूद रहेंगे ताकि मौके पर ही समस्या का समाधान किया जा सके। कुछ दिन ऐसा हुआ भी, लोगों को राहत मिलने भी लगी थी।
लोग ही नहीं आए
नगर निगम में भी कई महीनों से जनसुनवाई बंद थी। कुछ दिन पहले ही निगमायुक्त ने इसे दोबारा शुरू करवाया। पहली जनसुनवाई में आई ज्यादातर शिकायतें जल वितरण को लेकर थीं। इसके बाद अगली जनसुनवाई से लोगों की भीड़ ही कम हो गई। फिलहाल स्थिति यह है कि अब तो इक्का-दुक्का शिकायतें ही जनसुनवाई में पहुंच रही हैं।
यही वजह है कि अधिकारियों की रूचि भी जनसुनवाई को लेकर कम हो गई है। देखा जाए तो कलेक्टर कार्यालय को छोड़कर अन्य सरकारी कार्यालयों में फिलहाल जनसुनवाई बंद है। अगर कोई शिकायत लेकर पहुंचता भी है तो उसे कलेक्टर कार्यालय या आवेदन से संबंधित विभाग के दफ्तर भेज दिया जाता है।