किसी के पास नहीं साउंड डेसिबल मापने के मीटर

ध्वनि विस्तार यंत्र : रोक का मामला, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास कार्रवाई के अधिकार नहीं
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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए प्रशासन,पुलिस,नगर निगम ने ताबड़तोड ध्वनि विस्तार यंत्र को तो हटवा दिया। इस पर कार्रवाई करने के लिए के लिए अधिकार,आदेश निर्देश तो है,लेकिन शोर का पैमाना परखने के लिए किसी के पास भी मीटर नहीं है।

प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक धार्मिक स्थल या दूसरी जगह पर निर्धारित मापदंड के मुताबिक ही लाउडस्पीकर या डीजे का इस्तेमाल हो सकेगा। लाउडस्पीकर और दूसरे माइक वाले यंत्रों का नियम के खिलाफ बिना मंजूरी तेज आवाज में इस्तेमाल पूरी तरह से बैन किया गया है। आदेश में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देशों के हवाले के साथ मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम और ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के प्रावधानों का भी जिक्र है। प्रशासन ने भी धारा-१८८ के तहत कार्रवाई की चेतावनी जारी कर अनेक स्थानों से ध्वनि विस्तार यंत्र हटवा दिए थे।
आदेश को प्रभावी बनाने के संसाधन नहीं
धर्मस्थलों और अन्य स्थानों पर तय ध्वनि सीमा से अधिक आवाज में लाउडस्पीकर चलाने पर रोक को प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन,पुलिस या नगर निगम के पास संसाधन ही नहीं है। दरअसल डेसिबल मापने के मानक/अधिकृत मीटर ही नहीं है। जानकारों के अनुसार बेस्ट क्वालिटी साउंड मीटर 2.5 लाख रु. का एक है। ऐसे में बड़े बाक्स के कानफोड़ू ध्वनि वाले डीजे और स्पीकर्स से निपटने की कोई तैयारी नहीं है। बता दें कि पिछले दिनों गृह विभाग ने ध्वनि विस्तारक यंत्र के इस्तेमाल को लेकर एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक किसी भी धार्मिक स्थल या अन्य स्थानों पर तय मापदंड के अनुसार ही ध्वनि विस्तारक यंत्र का इस्तेमाल किया जा सकेगा। तय मानकों से ज्यादा तेज आवाज में ध्वनि विस्तारक यंत्र नहीं बजाए जाएंगे। शिकायत मिलने पर उडऩदस्ता जांच करेगा। जिला स्तर पर तीन सदस्यीय उडऩदस्ता गठित किया जाएगा। शिकायत की जांच तीन दिन में पूरी की जाएगी।
जिले में करीब 500 डीजे
जिले में छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 500 डीजे हैं। संचालकों ने लोडिंग वाहनों पर डीजे बनवाए हैं, जिनमें अत्याधिक तीव्रता ध्वनि वाले बाक्स लाइटिंग के साथ लगाए जाते हैं। इनके सामने कमजोर हृदय वाले लोग खड़े नहीं हो पाते हैं। बता दें कि एक डीजे को बनवाने में कम से कम 10 से 15 लाख रुपये का खर्च आता है।
मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम और ध्वनि प्रदूषण नियम के तहत कार्रवाई का अधिकार जिला प्रशासन,पुलिस के पास है।
एचके तिवारी,क्षेत्रीय निदेशक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन।
एक साथ उच्चत्तम क्षमता के कई बॉक्स
धार्मिक, सांस्कृतिक और वैवाहिक सहित अन्य समारोह में डीजे का उपयोग किया जाता है। एक वाहन पर उच्चत्तम क्षमता कई बॉक्स लगाएं जा रहे है। फिलहाल प्रशासन और पुलिस के पास ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए डीजे पर प्रतिबंध लगाने कोई साधन नहीं है नियमानुसार आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल से अधिक आवाज में डीजे नहीं बजाए जा सकते, लेकिन शादियों और समारोह में डीजे ८० से ८५ डेसिबल तक बजते हैं। जो रात के लिए निर्धारित तय मानक से लगभग दोगुना है। रहवासी क्षेत्रों में रात 10 बजे के बाद भी स्टैंडर्ड को लांघकर डीजे बजते है।
जिले में पहला कोलाहल अधिनियम का केस दर्ज
धार्मिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर से रहवासियों को परेशानी
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में कोलाहल अधिनियम का सख्ती से पालन कराने के निर्देश जारी किये गये थे जिसके तहत पुलिस व प्रशासन द्वारा लोगों को समझाईश देकर धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर निकालने की कार्रवाई की गई। शनिवार को माधव नगर पुलिस ने शिकायती आवेदन की जांच के बाद धार्मिक स्थल के संचालक पर उक्त अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि जिले में इस प्रकार का पहला केस दर्ज हुआ है।
पुलिस के अनुसार विकास पिता जोगेन्द्र सिंह गौड निवासी देसाई नगर ने शनिवार सुबह थाने में आवेदन दिया था कि उनके घर के पास स्थित धार्मिक स्थल के संचालक द्वारा लाउडस्पीकर की तेज ध्वनि से ध्वनि प्रदूषण किया जाता है जिससे उन्हें व आसपास के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आवेदन की जांच के बाद पुलिस ने शाम को धार्मिक स्थल के संचालक पर कोलाहल निवारण अधिनियम की धारा 7/15 एवं 188 के तहत केस दर्ज किया। पुलिस ने बताया कि अब धार्मिक स्थल से लाउडस्पीकर हटवाने के साथ संचालक को नोटिस तामिल कराया जायेगा।








