Sunday, September 24, 2023
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कुछ तो बात है इस नई सियासत में…

कुछ तो बात है इस नई सियासत में…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:कांग्रेस नेता भी अब साफगोई से इस बात को स्वीकारते हैं कि संगठनात्मक रूप से वे अपने विरोधी दल जितने मजबूत नहीं हैं। चुनावी साल में अपनी इसी कमजोरी को दूर करने के लिए वरिष्ठ नेताओं ने जो कवायद शुरू की उससे कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी अचरज में हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अपनी उज्जैन यात्रा के दौरान जिस तरह कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और अनुशासन को लेकर सख्ती बरती थी,उसे कांग्रेसी नए दौर की कांग्रेस कह रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री खुद मंच के नीचे बैठते हैं और असंतुष्ट नेताओं को मंच पर बैठाकर उनकी पीड़ा नोट करते हैं।

ये सब देखकर कांग्रेसी ही कहने लगे हैं कुछ तो बात है इस नई सियासत में। देखें क्या गुल खिलाती है। हालांकि कांग्रेस में चुनाव को लेकर संगठन द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक और प्रभारियों ने ही कार्यकर्ताओं की अलग से नब्ज टटोलना शुरू कर दी है। हालांकि वे इतना जरूर कहते हैं कि टिकट तय नहीं करेंगे।

ठेकेदार के साथ इंजीनियर भी होंगे जिम्मेदार

सड़कों की गुणवत्ता खराब होने पर ठेकेदार के साथ-साथ संबंधित इंजीनियर भी जिम्मेदार होंगे। मरम्मत के काम को मुख्य अभियंता से लेकर उपयंत्री तक को देखना होगा। इसके लिए साप्ताहिक निरीक्षण का कार्यक्रम बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेजना होगा ताकि उसकी निगरानी की जा सके। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने यह व्यवस्था विशेष अभियान के अंतर्गत लागू की है। वरिष्ठ अधिकारियों से कहा गया है कि वे अधीनस्थों द्वारा किए जा रहे कार्यों पर नजर रखें। बता दें कि गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण प्रदेश में बड़ी संख्या में सड़क, पुल-पुलिया क्षतिग्रस्त हुए थे। इस बार ऐसी स्थिति नहीं बने, इसलिए पीडब्ल्यूडी विशेष निरीक्षण अभियान चलाने वाला है।

कार्यकर्ताओं को फीडबेक का इंतजार

मुख्यमंत्री ने अब जिलों के प्रभारी मंत्रियों से फीडबेक लेना शुरु किया है कि अपने प्रभार वाले जिलों में वो कितनी रात, कहां कहां रुके, किन गांवों में भ्रमण किया, किस कार्यकर्ता के यहां खाना खाया, जनता का फीडबेक कैसे लिया…? उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री को लेकर भाजपा का आम कार्यकर्ता तलाश कर रहा है कि वे किन किन गांवों में कितनी बार गए लेकिन कार्यकर्ता को जानकारी मिल ही नहीं पा रही है।

उज्जैन ही नहीं बाकी जिलों के कार्यकर्ताओं को इंतजार है कि मुख्यमंत्री संबंधित जिलों के कार्यकर्ताओं से प्रभारी मंत्रियों का फीडबेक लेने की योजना पर कब काम करेंगे! वहीं जिले में सत्तारूढ़ दल के विधायक अपनी जमीन मजबूत रखने के लिए हर जतन करने में जुटे हुए है। उनकी कोशिश है कि कार्यकर्ताओं को नाराज नहीं किया जाए। इसके लिए अलग-अलग प्रयास भी जारी है।

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