संक्रमित के संपर्क में आए व्यक्ति की टेस्टिंग तब तक जरूरी नहीं, जब तक वो खतरे वाली श्रेणी में न हो
नईदिल्ली। कोविड टेस्टिंग के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ढ्ढष्टरूक्र) ने कोविड टेस्टिंग को लेकर नई एडवाइजरी जारी की है। इसके मुताबिक, कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए लोगों के टेस्ट की तब तक जरूरत नहीं है, जब तक वे खतरे वाली श्रेणी में न हों।
किन लोगों का टेस्ट होना चाहिए
जिन लोगों को कफ, बुखार, खराब गले, सांस में समस्या हो या ऐसी ही तकलीफ हो, जिन्हें गंध और स्वाद में समस्या आ रही हो, उनका टेस्ट किया किया जा सकता है।
60 साल और इससे ज्यादा आयु वाले, जिन लोगों को शुगर, हाईपरटेंशन, किडनी और फेफड़ों की बीमारियां हों, उनका टेस्ट किया जा सकता है।
जो लोग अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर रहे हों।
हवाई अड्डों, बंदरगाहों पर आने वाले विदेशी यात्रियों का गाइडलाइंस के मुताबिक टेस्ट किया जा सकता है।
किनके टेस्ट की जरूरत नहीं
जिन लोगों में संक्रमण के किसी तरह के लक्षण नहीं हैं, उनकी टेस्टिंग की आवश्यकता नहीं।
किसी संक्रमित के कॉन्टेक्ट के टेस्ट की तब तक आवश्यकता नहीं, जब तक कि आयु या बीमारियों के आधार पर वे खतरे वाली श्रेणी में न आते हों।
वो मरीज जिन्हें होम आइसोलेशन गाइडलाइंस के आधार पर डिस्चार्ज कर दिया गया हो।
कोविड सेंटर में भर्ती वे मरीज जिन्हें डिस्चार्ज कर दिया हो।
जो लोग घरेलू यात्राएं यानी एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा कर रहे हों, उनका टेस्ट भी जरूरी नहीं।
अस्पतालों में टेस्ट की गाइडलाइन
अगर किसी का टेस्ट नहीं किया गया है तो इस आधार पर सर्जरी या डिलिवरी को नहीं रोका जाएगा।
अगर किसी अस्पताल में टेस्टिंग की सुविधा नहीं है तो उसे दूसरे अस्पताल में नहीं रेफर किया जाएगा। इनके सैंपल कलेक्शन और टेस्टिंग लैब में भेजे जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
ऐसे मरीज जो सर्जरी और चीरफाड़ की प्रक्रिया से गुजर रहे हों और डिलिवरी के लिए अस्पताल में भर्ती महिलाओं का टेस्ट तब तक जरूरी नहीं है, जब तक उनमें लक्षण न दिखाई दें या जब तक इसकी आवश्यकता न हो।