लेन-देन के खराब व्यवहार के सुनना पड़ रहे ताने…
‘पद’ और इसके साथ आने वाली शक्ति लंबे समय तक नहीं रहती और पद के जाते ही वह भी चली जाती है सोशल वर्कर शब्द का शाब्दिक अर्थ सेवा करने, देखने और सेवा व्यवस्था की समझ रखने वाला होता है। असली सोशल वर्कर पद की लालसा से मुक्त होता है।
वर्तमान में तो कुछ लोग सोशल वर्क को किनारे कर पद पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ऐसा ही सोशल वर्क के लिए जानी जाने वाली एक इंटरनेशनल संस्था के ‘उज्जैन डिस्ट्रिक्ट’ के 14-15 अप्रैल 2023 को होने वाले चुनाव को लेकर चल रहा है।
टेक्निकल इंजीनियरिंग, प्रोफेशनल इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग और पॉलीटिकल इंजीनियरिंग में लगभग ‘असफल’ होने के बाद अब ‘सोशल इंजीनियरिंग’ के जरिए पद पाने के लिए लालायित ‘भैया’ को अब उनकी ‘प्रवीणता’ के बखान पर ही आड़े हाथों लिया जाने लगा है।
उन्हें अपने ही लोगों के ‘ताने और कटाक्ष’ का सामना करना पड़ रहा हैं। सोशल वर्क की एक अंतरराष्ट्रीय संस्था में उज्जैन डिस्ट्रिक्ट में दूसरे नंबर का पद हासिल करने के लिए भैया लगभग एक वर्ष से सक्रिय है। इसके चुनाव साढ़े पांच माह बाद हैं।
संस्था में पद और सम्मान हासिल करने की सबसे पहली अघोषित शर्त तो ‘सोशल वर्क’ है। भैया भी प्रचार में स्व-महिमामंडन के साथ यह स्वीकारते हैं कि वे संस्था से बीते 15 वर्षों से जुड़े हैं, पर सोशल वर्क अब करना चाहते हैं, पद मिलने के बाद।
यह बात संस्था के सीनियर मेंबरों के गले भी नहीं उतर रही है। बताते हैं कि कोविड-19 में भैया ने परिजन तो दूर अपने शैक्षणिक संस्थान के कर्मचारियों तक की ‘सेवा’ नहीं की ।
इसके विपरीत अधिकांश को ‘अर्थ संकट’ में छोड़ दिया। कहने वाले तो यह भी बताते हैं कि भैया का ‘लेन-देन’ को लेकर भी व्यवहार ठीक नहीं है।
जबसे लोगों को जानकारी लगी है की भैया चुनाव में लाखों रूपया खर्च कर रहे हैं तब से लोगों ने यह चर्चा शुरू कर दी है की दूसरों का पुराना पैसा ना देकर इस पैसे से चुनाव लड़ेंगे तो इस प्लेटफार्म पर भी ‘पप्पू’ ही साबित होंगे।
इसी बात के ताने अब ‘भैया’ को सुनने पड़ रहे हैं। संस्था के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो इंट्रोडक्शन मीटिंग में यहां तक कह दिया कि पहले सेवा तो करो फिर पद की सोचना।
पहले जनसेवा भाव के साथ फील्ड में रहे फिर चुनाव लड़ें, हम सहयोग करेंगे। भैया है कि अपने मनी-पॉवर, बड़े एंपायर, रॉयल फैमिली के स्टेटस का प्रचार कर रहे हैं।