बारिश के कारण सुरक्षा के लिए लगी रेलिंग भी पिछले दिनों हटा ली गई, जलस्तर घट-बढ़ रहा
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन रामघाट और दत्त अखाड़ा घाट को जोडऩे वाली छोटी रपट पर लगी रेलिंग नगर निगम द्वारा बारिश के मद्देनजर निकाल ली गई है। बावजूद इसके लोग इस पर आवाजाही करते रहे है। इतना ही नहीं सेल्फी लेने वालों की यहां होड़ सी लगी रहती है। इन्हें समझाने के लिए मौके पर न तो सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते है और न ही सावधानी की चेतावनी देने वाली मुनादी की जा रही थी। सावन माह लगते ही शिप्रा तट पर भी स्नान करने वालों की भीड़ उमडऩे लगी है।
उल्लेखनीय है कि करीब एक सप्ताह पहले नगर निगम ने रामघाट और दत्तअखाड़ा के बीच स्थित छोटी रपट की रेलिंग निकाल ली थी। हर वर्ष बारिश के दौरान पुल-पुलिया पर लगी रेलिंग हटा ली जाती है। ऐसे में इस पर सुरक्षा के लिहाज से खतरा और बढ़ जाता है, क्योंकि बारिश के दिनों में कई बार शिप्रा नदी में अचानक पानी बढ़ जाता है। ऐसे में कभी भी पुल-पुलिया पर गुजर रहे लोगों के साथ हादसा हो सकता है।
रविवार और सोमवार को भी रामघाट क्षेत्र में क्षिप्रा का जलस्तर अचानक बढऩे लगा। शाम तक क्षिप्रा का पानी छोटी रपट के करीब पहुंच गया था। वहीं ४-५ दिन पहले भी शिप्रा में आसपास हुई बारिश के कारण जलस्तर बढ़ गया था। सुरक्षा के लिहाज से नगर निगम तथा होमगार्ड के जवानों ने रामघाट तथा दत्तअखाड़ा की ओर छोटी रपट के दोनों साईड बैरिकेट्स लगाकर आवाजाही को रोक दिया था। हालांकि अगले दिन इन्हें फिर हटा दिया गया था।
पिछले साल 25 इस साल 12 से ज्यादा
उल्लेखनीय है कि देश भर से आने वाले श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के पहले शिप्रा नदी में स्नान करते हैं। यह सिलसिला ग्रीष्म अवकाश शुरू होने के साथ ही आरंभ हो जाता है। गर्मी से लेकर जून के महीने तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु नदी पर पहुंच रहे हैं। गत वर्ष 1 जनवरी से 10 जुलाई तक का आंकड़ा देखे तो करीब 25 लोग शिप्रा के गहरे पानी में डूब गए थे और उनकी जान चली गई थी। वहीं इस वर्ष इस अवधि तक शिप्रा नदी में डूबने से 12 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। ज्यादातर मौतें शिप्रा नदी के ऩृसिंहघाट से लेकर रामघाट तथा छोटे पुल के बीच हुई है।
बीच में जाकर लेते है सेल्फी
इसके बाद से ही लोगों का रामघाट तथा दत्त अखाड़ा की ओर से रपट पर आना-जाना बना हुआ है। इतना ही नहीं नदी में पानी बढ़ता देख लोग रपट के बीच जाकर सेल्फी लेने के चक्कर में रहते है। काफी देर तक इसके लिए छोटी रपट पर लोगों में होड़ लगी रहती है। रविवार को भी सुबह से शाम तक लोग यहां सेल्फी लेते रहे। वहीं आज सोमवार सुबह भी कई लोग यही दोहरा रहे थे। हालांकि आमतौर पर जब नदी में जल स्तर बढ़ता है तो होमगार्ड या पुलिस जवान रपट पर आवाजाही रोक देते है। इसके अलावा माईक से एनाउंसमेंट कर लोगों को गहरे पानी में न जाने की चेतावनी भी दी जाती है, लेकिन यहां बढ़ते पानी के बीच रपट पर सेल्फी ले रहे तथा इसे पार कर रहे लोगों को रोकने वाला कोई नजर नहीं आ रहा था।
कुछ लापरवाही लोगों की भी
शिप्रा नदी में पिछले महीने लगातार हादसे हुए। गत माह 12 दिन की अवधि में शिप्रा नदी में डूबने से 7 लोगों की जान चली गई थी। होमगार्ड के जवान तथा नदी पर व्यवसाय करने वाले लोग बताते है कि ज्यादातर हादसे स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की लापरवाही के कारण भी होते है, क्योंकि वे घाट पर नहाने पहुंचते है और घाट से ३-4 फीट के आगे उनका नदी की गहराई से सामना होता है और वे घबरा जाते है तथा गहरे पानी में जाने से मौत हो जाती है। इन घटनाओं के बाद से रामघाट और दत्त अखाड़ा क्षेत्र में होमगार्ड के जवान लगातार घूम कर लोगों को समझाइश दे रहे है। वहीं लाउडस्पीकर से सूचना भी दी जा रही है। बावजूद इसके श्रद्धालु नियमों का पालन नहीं करते।