निजी बस संचालक की मनमानी, अमानवीय चेहरा उजागर
चार साल की बालिका का 280 किलोमीटर का सफर बस के बोनट पर, तबीयत बिगड़ी, माता-पिता थाने पहुंचे
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन।कमाई के चक्कर में निजी बस संचालकों की मनमानी का एक मामला सामने आया है। 4 साल की एक बालिका को उसके परिजन के साथ 280 किलोमीटर का सफर बस में सीट देने की बजाए बोनट पर बैठाकर करा दिया। वातावरण के बढ़े हुए तापमान के साथ बस के इंजन से निकलने वाली गर्मी के कारण बालिका की तबीयत बिगड़ गई। बालिका के माता-पिता बस संचालक की शिकायत को लेकर महाकाल थाने पहुंचे तो पुलिस ने भी केवल आवेदन लिया, शिकायत दर्ज नहीं की।
नागपुर निवासी गिरधर कुलरकर उनकी पत्नी करिश्मा और बेटी निशा, भतीजी सिमरन के साथ शुक्रवार को महाकाल मंदिर दर्शन के लिए उज्जैन आए थे। यहां महाकाल सहित विभिन्न मंदिरों में दर्शन के बाद ओंकारेश्वर जाने का प्लान था। इसके लिए महाकाल बस सर्विस की उज्जैन-ओंकारेश्वर चलने वाली बस में शनिवार के लिए आने-जाने की तीन टिकट बुक कराई थी। बुकिंग काउंटर से बस क्रमांक एमपी 13 पी 1542 के लिए टिकट क्रमांक 1535 जारी किया ।
इसमें सीट नंबर के स्थान पर तीन बोनट लिख दिया गया। शनिवार सुबह 9 बजे जब गिरधर अपने परिवार के साथ चारधाम मंदिर बस स्टॉप पर पहुंचे तो कंडेक्टर ने उन्हें बोनट पर बैठा दिया। साथ में कुलरकर की 4 साल की बेटी निशा भी बैठ गई। उज्जैन से ओंकारेश्वर और फिर वापसी का 280 किमी का सफर कुलरकर परिवार ने बोनट पर बैठकर ही किया।
जाते समय ही बिगडऩे लगी थी तबीयत
ओंकारेश्वर से रात करीब 11:30 उज्जैन पहुंचे कुलरकर परिवार उस वक्त बदहवास हो गया जब चार वर्षीय निशा अचेत हो गई। शहर से अनजान होने के कारण न अस्पताल का पता था और ना ही डॉक्टरों का।
बालिका की मां करिश्मा नागपुर मेडिकल कॉलेज में स्टॉफ नर्स है ऐसे में उसने अपने अनुभवों के आधार पर प्राथमिक उपचार के लिए मेडिकल स्टोर से दवाई लेकर बालिका को दी, लेकिन उसकी हालत नहीं सुधरी।
नहीं सुनी कंडेक्टर ने
करिश्मा कुलककर ने बताया कि ओंकारेश्वर जाते समय ही उनकी बेटी को गर्मी के कारण घबराहट होने लगी थी। वह उल्टियां भी करने लगी थी। कंडेक्टर से कहा कि उन्हें व्यवस्थित सीट दी जाए। उसका जवाब था कि बस पूरी फुल है। आपको टिकट बोनट का ही दिया है। शाम को जैसे-तैसे ओंकारेश्वर से उक्त बस में ही रवानगी ली। वापसी के दौरान भी निशा की तबीयत बिगड़ी हुई थी, लेकिन कंडेक्टर ने हमें सीट नहीं दी और बोनट पर ही उज्जैन तक का सफर पूरा किया।
महाकाल थाने में पुलिसकर्मी ने बोला- किसने कहा था बोनट पर बैठने का
बस संचालक की मनमानी की शिकायत को लेकर बालिका के माता-पिता रविवार सुबह महाकाल थाने पहुंचे। पुलिस को अपनी पूरी व्यथा सुनाई और बस वालों पर कार्रवाई की मांग की। थाने पर मौजूद पुलिसकर्मी ने शिकायत दर्ज करने की बजाए कुलरकर दंपत्ति से सवाल पूछना ही शुरू कर दिए।
महाकाल थाने के पुलिसकर्मी का कहना था कि आपको किसने कहा था बोनट पर बैठने का? बच्ची की तबीयत खराब है तो यहां क्यों आए हो? पहले उसे अस्पताल ले जाओं। इसके जवाब में बालिका की मां ने बताया कि हमें नहीं पता की बोनट सीट क्या होती है। हमारे महाराष्ट्र में ड्राइवर के पास किसी को बैठने ही नहीं दिया जाता है। महिला प्रकरण दर्ज कराने की जिद पर अड़ी रही उसके बाद पुलिस ने सादे कागज पर कुलरकर दंपत्ति से आवेदन लेकर थाने से रवाना कर दिया। गिरधर कुलरकर ने बताया कि बाद में पुलिस के सहयोग से बालिका निशा को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।