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चार साल से कागजों में अटका 'तरणताल' का जीर्णोद्धार
Monday, October 2, 2023
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चार साल से कागजों में अटका ‘तरणताल’ का जीर्णोद्धार

चार साल से कागजों में अटका ‘तरणताल’ का जीर्णोद्धार

स्वीमिंग पूल निर्माण का टेंडर जारी, डिजाइन फाइनल नहीं

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:नगर निगम के देवास रोड़ स्थित पुराने स्वीमिंग पूल का जीर्णोद्धार प्लान पिछले चार सालों से कागजों में अटका हुआ है। खास बात यह है कि नगर निगम ने इसके लिए टेंडर तो जारी कर दिए हैं, लेकिन अभी तक इसकी डिजाइन फाइनल नहीं हो पाई है। ऐसे में निर्माण कार्य प्रारंभ ही नहीं हो सका है।

उल्लेखनीय है कि देवास रोड स्थित पुराने तरणताल को भी तोड़कर नए सिरे से बनाने के लिए नगर निगम ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे भविष्य की सुविधाओं की दृष्टि से और अधिक बड़ा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाने की योजना है। इसके लिए पूल के वर्तमान स्ट्रक्चर को डिस्मेंटल करने के साथ आसपास की रिक्त जमीन का उपयोग किया जा सकता हैं। इसके लिए नगर निगम ने 5 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत का टेंडर जारी किया हैं।

गौरतलब है कि देवासरोड स्थित तरणताल जीर्णशीर्ण होने के चलते वर्ष 2019 में निगम ने इसके रिनोवेशन को मंजूरी मिली थी। तब से अब तक प्रस्ताव में कई बदलाव हो चुके हैं। कुछ महीने पूर्व निर्माण एजेंसी तय होने के बाद फिर नया प्रस्ताव आने से प्रोजेक्ट कागजों से बाहर ही नहीं आ पाया है।

निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब नए प्रस्ताव के आधार पर रिवाइज डीपीआर तैयार की गई है। मंजूरी के लिए इस डीपीआर को मेयर इन काउंसिल के समक्ष रखा गया है। इसलिए अभी भी स्वीमिंगपूल की ड्राइंग डिजाइन पर अंतिम मुहर नहीं लग पाई है।

रिवाइज डीपीआर जल्द होगी फाइनल

अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार स्वीमिंगपूल को तैयार करने के लिए 5.24 करोड़ रुपए की रिवाइज डीपीआर तैयार हो गई है, जिस पर एमआइसी की स्वीकृति आते ही पूल का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। -मुकुल मेशराम, सब-इंजीनियर, नगर निगम

मुख्य बिन्दु

कोरोना काल में कुछ कार्य नहीं हुए। वर्ष 2021-22 में टेंडर प्रक्रिया की लेकिन काम शुरू नहीं किया। बाद में एजेंसी तय हुई लेकिन स्वीमिंगपुल की डिजाइन को लेकर नए सिरे से मंथन शुरू हुआ। इसके चलते काम प्रारंभ नहीं हो सका।

-एमआइसी के इस ठहराव के आधार पर निगम परिषद ने 28 फरवरी 2019 को जल्द कार्य शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया। इस आधार पर 3.50 करोड़ रुपए की डीपीआर कार्यालय को प्रस्तुत की गई। टेंडर, पुराने भवन में संचालित अन्य संस्थान के स्थान आदि को लेकर फिर एमआइसी में प्रस्ताव आए।

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