उज्जैन :विधानसभा चुनाव में अधिक समय नहीं बचा है। इस रण में भाग्य आजमाने के इच्छुकों को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता भी सताने लगी है। इससे निजात पाने के लिए ‘बीती ताहि बिसार दे,आगे की सुध ले,’ की तर्ज पर सेल्फ असेसमेंट के साथ विश्वस्त सहयोगियों, पर्दे के पीछ़े,पर्दे के आगे सक्रिय रहने वाले संगी-साथियों, सिपाहसालारों को हिदायत,सबक और निर्देश मिलने लगे हैं।
जिले के एक विधायक को ‘अपनी स्थिति’ और टीम के सदस्यों के ‘व्यवहार और कार्यप्रणाली’ को लेकर शायद कुछ शंका होने लगी है। तभी तो बीते दिनों दशहरा मैदान स्थित एक होटल में गोपनीय बैठक-सहभोज के साथ रखी। इसमें अधिकांश वे ही आमंत्रित थे,जो ‘विधायक भाई साहब’ के खास है। ‘भाई साहब’ के पास भी काफी दिनों बाद बहुत समय था, ‘सो खूब बातें-शिकवे-शिकायत हुई।’ सभी की सुनी और सभी को सुनाई गई।
अब हिदायतों का वक्त था। ‘विधायक जी’ ने कहा टिकट-विकट की छोड़ो, ऐसा कुछ मत करना कि हम सभी को चुनाव में परेशानी हो। ‘कम खाओ,गम खाओ और नम जाओ’ के सूत्र को ध्यान में रखना। इसका मतलब है कि भोजन कम करना ताकि क्षेत्र में भ्रमण और मेहनत में दिक्कत नहीं हो। क्षेत्र में किसी विषय या मुद्दों को लेकर कोई कितना भी तीखा बोले, गम खा लेना।
सामने वाला कितने भी गुस्से और आक्रोश आए,नम (झुक) जाना,पर तेवर मत दिखाना। चुनाव पूर्व के शेष समय में ‘पांव में चक्कर, मुंह में शक्कर,सीने में आग और माथे पर बर्फ का मंत्र साथ रखना है। इसका मतलब है कि लोगों से मिलिए। मुंह में शक्कर का अर्थ है कि तीखा मत बोलना।
सीने में आग का मतलब-काम करने,जीतने की ललक और माथे पर बर्फ यानी दिमाग ठण्डा रखना। चुनाव के पहले ‘विधायक भाई साहब’ का यह आशय तो सभी की समझ में आ रहा है,लेकिन बदला व्यवहार कई के गले नहीं उतर रहा है। हालांकि इस ‘खास बैठक’ से पार्टी में ‘हलचल’ जरूर हो गई है।