Saturday, December 9, 2023
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जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

महाकाल महालोक का मसला हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में

जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:महाकाल-महालोक में तेज हवा से मूर्तियों के गिरने के गिरकर क्षतिग्रस्त होने के मामले हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया जाए या नहीं इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

महाकाल महालोक में मूर्तियों गिरने के मामले में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट के प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी, जस्टिस ह्दयेश की डिविजन बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। सरकार की ओर महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पैरवी की। याचिकाकर्ता केके मिश्रा की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागडिय़ा ने पक्ष रखा।

महाधिवक्ता ने कहा याचिका हाईकोर्ट में चलने योग्य ही नहीं है

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका हाई कोर्ट में चलने योग्य ही नहीं है। राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता विपक्ष के नेता हैं। मूर्ति गिरने के बाद लोकायुक्त ने स्वत: संज्ञान लेते हुए, जांच की। हाई कोर्ट में याचिका लगाकर अलग मांग की जांच कैसे की जा सकती है। याचिकाकर्ता कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हैं। उन्होंने इस जानकारी को छुपाया है। अपना पूरा परिचय ही नहीं दिया। तथ्य छिपाकर याचिका दायर की है। इसे निरस्त करना चाहिए।

रिटायर्ड जज से कराई जाए जांच

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि यह मामला धार्मिक आस्था का है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना है। लोकायुक्त का दायरा सीमित है। वह केवल करप्शन की जांच करती है। रिटायर हाई कोर्ट जज की निगरानी में तटस्थ जांच की जाना चाहिए।

याचिका में विस्तृत जानकारी दी गई है। और कुछ कमी लगती है तो कोर्ट समय दे हम उसे भी विस्तार से बता देंगे। देश के कई नेता इस तरह के मामलों में याचिका लगाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। याचिका में उज्जैन के महाकाल लोक के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि निविदा में शर्त रखी गई थी कि मूर्तियां गुणवत्तापूर्ण होंगी लेकिन मूर्तियों की गुणवत्ता कभी किसी ने जांची ही नहीं।

30 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चली हवा में ही ये मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं जबकि कंपनी ने दावा किया था कि कई वर्षों तक मूर्तियों का कुछ नहीं बिगड़ेगा। महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की निगरानी में कराई जाना चाहिए।

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