Wednesday, May 31, 2023
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जानें कब मनाई जाएगी गायत्री जयंती

हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं का बहुत ज्यादा महत्व है और सभी भगवानों की पूजा का फल भी अलग होता है। जैसे देवताओं की पूजा करना शुभ फल देता है वैसे ही सभी देवियों की पूजा करने से भी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। उन्हीं देवियों में से एक हैं गायत्री माता। उन्हें वेदों की देवी कहा जाता है और उनका पूजन बड़े ही विधि विधान से किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां गायत्री का पूजन करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है और मन मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

कौन हैं मां गायत्री

ऐसा माना जाता है कि देवी गायत्री भगवान् ब्रह्म के सभी अभूतपूर्व गुणों की अभिव्यक्ति हैं। उन्हें त्रिमूर्ति की देवी के रूप में भी भी पूजा जाता है। मां गायत्री को सभी देवताओं की माता होने के साथ और देवी सरस्वती, देवी पार्वती और देवी लक्ष्मी का स्वरुप माना जाता है। उनका पूजन वेदों की देवी के रूप में किया जाता है।

गायत्री जयंती की तिथि

  • इस साल 2022 में गायत्री जयंती, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन 11 जून, शनिवार को मनाई जाएगी।
  • गायत्री जयंती तिथि आरंभ – 10 जून, शुक्रवार प्रातः 07 बजकर 25 मिनट पर
  • गायत्री जयंती तिथि की समापन -11 जून, शनिवार प्रात: 05 बजकर 45 मिनट पर
  • चूंकि उदयातिथि के अनुसार गायत्री जयंती की तिथि 11 जून, शनिवार को है, इसलिए इसी दिन माता गायत्री का पूजन फलदायी होगा।

गायत्री जयंती का महत्व

शास्त्रों के अनुसार गायत्री जयंती उस दिन होती है जब ऋषि विश्वामित्र ने पहली बार गायत्री मंत्र का उच्चारण किया  था कुछ लोगों का यह भी मानना था कि वेदों की माता देवी गायत्री उसी दिन पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। गायत्री मंत्र की सर्वोच्चता हिंदू धार्मिक शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है। इस मंत्र की महानता वैदिक काल से जानी जाती है।

देवी गायत्री देवियों में सर्वोच्च देवी हैं और उन्हें देवी मां के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी गायत्री ने अपने भक्तों को सभी आध्यात्मिक और सांसारिक सुख प्रदान किए। इसके साथ ही गायत्री मंत्र व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है। जो व्यक्ति नियमित मां गायत्री का पूजन और गायत्री मंत्र का उच्चारण करता है उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

गायत्री जयंती की पूजा विधि

  • ज्योतिष के अनुसार गायत्री जयंती के दिन भक्तों को प्रातः जल्दी उठना चाहिए और स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ़ करें और सभी देवी देवताओं को साफ वस्त्र पहनाएं।
  • एक साफ़ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता गायत्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • चौकी को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें और माता गायत्री का आह्वाहन करें।
  • माता गायत्री को अक्षत, पुष्प, चंदन, नैवेद्य आदि चढ़ाएं और उसके बाद धूप-दीप जलाएं।
  • गायत्री मंत्र ‘ ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ का कम से कम 108 बार जाप करें
  • गायत्री चालीसा का पाठ करें और माता की आरती पढ़ें।
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