जरूरत पडऩे पर प्रायवेट कंपनी से खरीदते हैं ऑक्सीजन सिलेण्डर
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन कोरोनाकाल में जब ऑक्सीजन सिलेण्डर्स की कमी आई थी तब प्रदेशभर सहित जिला अस्पताल में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था। इसके लिए राशि न होने पर अन्य संस्थाओं ने दान किया था। कोरोना का दूसरा चरण समाप्त होने के बाद से यह प्लांट बंद पड़ा है।
संभाग के सबसे बड़े जिला अस्पताल में आयसीयू भी रिनोवेट हो चुकी है। बावजूद इसके ऑक्सीजन प्लांट की ओर अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं है। हालात यह है कि स्वयं का ऑक्सीजन प्लांट होने के बावजूद जिला अस्पताल में प्रायवेट पार्टी से प्रतिदिन ऑक्सीजन सिलेण्डर मंगवाए जाते हैं। ऐसा होने से राशि का दुरुपयोग भी हो रहा है, यह आरोप अस्पताल के ही कर्मचारियों का है। उनका दावा है कि जब से ऑक्सीजन प्लांट बंद हुआ है तब से अभी तक का प्रायवेट पार्टी से ऑक्सीजन सिलेण्डर खरीदने का हिसाब जांचा जाए तो चौंकानेवाले आंकड़े सामने आएंगे।
मेंटेनेंस के अभाव में बंद हो गया
इस संबंध में चर्चा करने पर सिविल सर्जन डॉ.पी.एन.वर्मा ने कहा कि कोरोनाकाल में ऑक्सीजन की अत्यधिक आवश्यकता के मद्देनजर प्लांट लगवाया गया था। बाद में यह मैंटेनेंस के अभाव में बंद हो गया। मैंटेनेंस को लेकर संबंधित कम्पनी को पूर्व में भी पत्र लिखे गए,वहां से कोई नहीं आया। एक बार फिर पत्र लिख देते हैं। अब नहीं आने पर कलेक्टर से शिकायत करेंगे। डॉ.वर्मा के अनुसार चरक हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का प्लांट चल रहा है। गंभीर मामले वहां शिफ्ट कर दिए जाते हैं। वेंटीलेटर पर जो मरीज रहता है,उसे हाई फ्लो ऑक्सीजन नहीं लगती है। ऐसे में ऑक्सीजन सिलेण्डर मंगवाते हैं। यदि कोई गड़बड़ी की शिकायत आती है तो जांच करवा सकते हैं।