जिला चिकित्सालय: पोस्टमार्टम रूम के बाहर मरीजों के परिजनों और पुलिस के बैठने की व्यवस्था नहीं…

2006 में बना था नया भवन, संभाग के सबसे बड़े अस्पताल की समस्या
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उज्जैन। अप्राकृतिक मृत्यु पर पुलिस द्वारा शव का पोस्टमार्टम कराया जाता है। संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्प्ताल में नया पोस्टमार्टम भवन 2006 में बना था। 16 वर्ष बीतने के बाद भी यहां मरीजों के परिजनों को बैठने के लिये न तो टीन शेड हैं और न ही पीने के पानी की व्यवस्था। पोस्टमार्टम से पूर्व कागजी कार्रवाई भी पुलिसकर्मियों को खुले आसमान के नीचे चबूतरे पर बैठकर करना पड़ती है।
3 फ्रीजर में 5 बॉडी रखने की सुविधा
शवों को सुरक्षित रखने के लिये यहां पर 3 फ्रीजर हैं। इसमें शवों को रखने का कोई शुल्क भी नहीं लिया जाता, जबकि शहर के एक प्रायवेट अस्पताल के मरचुरी रूम के फ्रीजर में रात भर शव रखने का शुल्क 2500 रुपये लिया जाता है और एकसंस्था द्वारा फ्रीजर उपलब्ध कराने का शुल्क 500 रुपये लिया जा रहा है।
बनने के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ…
जिला अस्पताल का पोस्टमार्टम कक्ष 2006 के पहले कवेलू के बने कमरे में संचालित होता था। तत्कालिन शिक्षा मंत्री ने वर्ष 2005 में नए पोस्टमार्टम कक्ष का शिलान्यास किया और एक वर्ष बाद यह कक्ष बनकर तैयार हो गया। यहां पदस्थ कर्मचारी जीवन ने बताया कि पोस्टमार्टम कक्ष में 10 शवों का पोस्टमार्टम एक समय में हो सकता है जिसके लिये अलग-अलग चबूतरे बने हुए हैं। हालांकि जिले की विभिन्न तहसीलों बडऩगर, उन्हेल, घट्टिया, तराना आदि के सरकारी अस्पतालों में भी पोस्टमार्टम होते हैं।
यह हैं मृतकों के परिजनों की परेशानी
पोस्टमार्टम रूम के बाहर बड़ा खुला मैदान है जहां एक चबूतरा बना है। बारिश के मौसम में सबसे अधिक परेशानी मरीजों के परिजनों को पानी से बचने की सामने आती है। पोस्टमार्टम केदौरान यदि बारिश हो रही है तो परिजनों को दीवारों की ओट में छुपकर खड़ा होना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी पुलिसकर्मियों की है जिन्हें शव के पोस्टमार्टम से पहले लंबी कागजी कार्रवाई करना पड़ती है। ऐसे में पुलिसकर्मी या तो चौकी में बैठकर या फिर पीएम रूम से लगे छोटे से पोर्च में खड़े होकर कार्रवाई कर पाते हैं। खास बात यह कि मृतक के परिजनों को पीने के लिये पानी भी यहां उपलब्ध नहीं होता।
एक वाटर कूलर मिला जिसे वार्ड में रख दिया:
कर्मचारियों ने बताया कि लोगों की सुविधा के लिये एक वाटर कूलर दान में मिला था जिसे वर्तमान में वार्ड में रख दिया गया है। चिकित्सा स्टाफ का तर्क था कि पीएम रूम के बाहर टीन शेड लगवाना हैं जहां पर वाटर कूलर स्थापित कर देंगे, लेकिन आज तक न तो टीन शेड बना और न ही पीने के पानी की सुविधा लोगों को मिल पाई है।