शिव महापुराण कथा के पहले दिन उमड़ी अपार भीड़
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। 4 अप्रैल से पं. प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा बडऩगर रोड पर प्रारंभ हुई। कथा के पहले ही दिन आस्थावानों की भारी भीड़ उमड़ी। पांडाल में जगह नहीं मिली तो लोग दूर-दूर तक जहां स्थान मिला कथा सुनने के लिए वहीं बैठ गए।
पं. प्रदीप मिश्रा के मुख से शिव महापुराण कथा सुनने के लिए हजारों श्रद्धालु दो दिन पहले ही सभा स्थल पर पहुंच गए थे। यहां बने तीनों पांडालों में कथा आरंभ वाले दिन मंगलवार को सुबह 11 बजे तक स्थिति यह थी कि मुख्य पांडाल तथा आसपास के दोनों पांडाल फुल हो गए थे। कथा का समय दोपहर 1 से शाम 5 बजे तक निर्धारित किया गया था। कथा शुरू होने से पहले तक तीनों पांडाल के अलावा कथा स्थल के आसपास जितने भी खेत थे। वहां जाकर लोग खाली स्थानों पर बैठ गए और पूरे 4 घंटे तक कथा को सुनते रहे।
ऐसी आस्था.. गर्मी भी भूल गए
पेड़ों की छांव से लेकर खुले तक में बैठ गए
पं. मिश्रा की कथा के पहले दिन ही अपेक्षा से अधिक लोग पहुंच गए। लोगों के बैठने के लिए जो आयोजन समिति ने तैयारियां की थी वह भीड़ के आगे कम पड़ गई। दोपहर में कथा सुनने के लिए जहां तक लाउडस्पीकर की आवाज आ रही थी, वहां तक लोग कोई पेड़ों की छांव में तो कहीं वाहनों के शेड में बैठकर कथा सुनते नजर आए। कुछ श्रद्धालु तो ऐसे भी थे जो खेतों के बीच खुले में धूप की परवाह न कर कथा सुनते नजर आए।
इंदौर से मगवाना पड़े फायर ब्रिगेड व चलित शौचालय
जिस तरह सिंहस्थ 2016 में व्यवस्था जुटाने में इंदौर नगर निगम ने उज्जैन नगर निगम की मद्द की थी। उसी तरह पं. प्रदीप मिश्रा की कथा में भी देखने को मिल रहा है। कथा स्थल के आसपास नगर निगम ने फायर ब्रिगेड की १० गाडिय़ां लगवाई है। इनमें से पांच वाहन इंदौर नगर निगम ने भेजें है। इसी तहर भोजन शाला क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन चलित शौचालय वाहन रखवाए गए है। यह सभी इंदौर नगर निगम के है।
पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा- महाकाल की मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं होता
लघु सिंहस्थ जैसा नजारा
कथा के दौरान एक प्रसंग सुनाते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि कथा के पहले दिन ही आप इतने लोग अवंतिका पधारे हो। यह तभी संभव है जब भगवान महाकाल की मर्जी हो। बगैर महाकाल की मर्जी के कुछ भी संभव नहीं। कथा का समापन पहले दिन 4 बजे किया गया। जैसे ही आरती की घोषणा हुई वैसे ही पांडाल से लोग बाहर आने लगे और शंकराचार्य चौराहा से लेकर मुल्लापुरा मार्ग तथा चिंतामण ब्रिज मार्ग पर लोगों की उमड़ती भीड़ सिंहस्थ की याद ताजा कर रही थी।
नेताओं पर भारी पड़े बाउंसर
कथा के दौरान एक प्रसंग सुनाते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि कथा के पहले दिन ही आप इतने लोग अवंतिका पधारे हो। यह तभी संभव है जब भगवान महाकाल की मर्जी हो। बगैर महाकाल की मर्जी के कुछ भी संभव नहीं। कथा का समापन पहले दिन 4 बजे किया गया। जैसे ही आरती की घोषणा हुई वैसे ही पांडाल से लोग बाहर आने लगे और शंकराचार्य चौराहा से लेकर मुल्लापुरा मार्ग तथा चिंतामण ब्रिज मार्ग पर लोगों की उमड़ती भीड़ सिंहस्थ की याद ताजा कर रही थी।