मामला तीसरी संतान के जन्म का
शिक्षा विभाग के खिलाफ कोर्ट जाएगी शिक्षिका…
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:तीसरे बच्चे के जन्म पर नौकरी जाने के मामले में अब शिक्षिका शिक्षा विभाग खिलाफ कोर्ट जाएगी। मामले में शिक्षिका ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी आरोप लगाए है। उन्होंने यह भी कहा, मुझे टारगेट कर शिकायत की गई है। जबकि विभाग में ऐसे कई सरकारी कर्मचारी हैं, जिनकी तीन संतानें हैं।
रहमत आगर मालवा जिले के बड़ौद की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया- 2003 में संविदा वर्ग-2 में नौकरी जॉइन की। बड़ौद के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संकुल प्राचार्य के पद पर 2 साल तक पदस्थ रही। साल 2000 में बेटी रहनुमा, 2006 में बेटा मुशाहिद और 2009 में बेटा मुशर्रफ पैदा हुआ था। जिसकी शिकायत मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस संघ ने की। जांच के बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग रविंद्र कुमार सिंह ने आदेश जारी किए और मेरी सेवा समाप्त कर दी गई।
2001 से लागू टू चाइल्ड पॉलिसी
मध्यप्रदेश में 2001 से टू चाइल्ड पॉलिसी लागू है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के तहत अगर तीसरा बच्चा 26 जनवरी 2001 के बाद जन्मा है, तो उसके माता/पिता को सरकारी नौकरी का पात्र नहीं माना जाएगा। यह नियम उच्च न्यायिक सेवाओं पर भी लागू होता है। साल 2005 तक स्थानीय निकाय चुनावों के उम्मीदवारों के लिए दो बच्चों के मानदंड का भी पालन किया गया, लेकिन सरकार ने आपत्तियों के बाद इसे बंद कर दिया। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि ऐसा नियम विधानसभा और संसदीय चुनावों में लागू नहीं है।
12 लोगो ने ली थी कोर्ट की शरण
ऐसे मामले पहले भी कोर्ट पहुंचे हैं। 2018 में 12 सरकारी कर्मचारियों ने ऐसे मामलों में हाईकोर्ट की शरण ली थी। इस पर अदालत ने 2019 में फैसला देते हुए कहा था कि ऐसे कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोकी जाए, नौकरी से न निकाला जाए।
उज्जैन संभाग के आगर-मालवा जिले का मामला
तीसरी संतान पर शिक्षिका की सेवा समाप्त
उज्जैन। संभाग के आगर-मालवा जिले में तीसरी संतान को जन्म देने के मामले में एक शिक्षिका की सेवा समाप्त कर दी गई है। गलत जानकारी देकर नौकरी करने पर शिक्षिका को किए गए अभी तक के भुगतान की राशि वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग उज्जैन ने आगर-मालवा जिले के शासकीय माध्यमिक विद्यालय बीजा नगरी में पदस्थ रहमत बानो मंसूरी को मप्र सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम-1961 के नियम-प्रावधान का पालन नहीं किये जाने पर मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम-1966 नियम के तहत सेवा से मुक्त कर दिया है। शिक्षिका को दीर्घशास्ति से दण्डित किये जाने के आदेश जारी कर दिये हैं।
यह है नियम
दो से अधिक संतान के संबंध में मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल के परिपत्र 10 मई 2000 द्वारा मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 6 के उपनियम-4 के उपनियम के तहत तीसरी संतान का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ है। इस संबंध में स्पष्ट आदेश है कि कोई भी उम्मीदवार जिसकी दो से अधिक जीवित संतान हैं, जिनमें से एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके बाद हो वह किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा। उपरोक्त नियमों का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई का प्रावधान है।
शिक्षिका द्वारा नियमों का पालन नहीं किए जाने पर कार्रवाई की गई है। रवीन्द्र कुमार सिंह संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग उज्जैन