उज्जैन: तेजी से गिर रहा भू-जल स्तर… शहर में पानी जमीन से 9.70 मीटर नीचे
नगर का मुख्य जलस्त्रोत गंभीर डेम आधा खाली
त्रिवेणी पर नर्मदा नदी का पानी लंबे समय से शिप्रा में नहीं छोड़ा जा रहा
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन।अभी मार्च का आधा महीना ही बीता है और गर्मी में जलसंकट के आसार नजर आने लगे हंै। दरअसल शहर में भू-जल स्तर तेजी से गिर रहा और नगर में मुख्य जलस्त्रोत गंभीर डेम की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं कह सकते हैं।
2250 एमसीएफटी क्षमता वाला गंभीर डेम आधा खाली हो गया है और इसमें केवल 1126 एमसीएफटी ही पानी बचा है। पूरी गर्मी डेम से पानी सप्लाय करने के लिए जलप्रदाय में कटौती करना होगी। इसके चलते नगर निगम ने एक दिन छोड़कर जलप्रदाय करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसे 1 अप्रैल से लागू किया जा सकता है।
शहर की पेयजल व्यवस्था का मुख्य जलस्रोत गंभीर डेम है, लेकिन इसमें पानी कम होता है। साहिबखेड़ी एवं उंडासा जलाशय से भी जलप्रदाय किया जाता है।
इनमें भी 45 व 120 एमसीएफटी पानी ही बचा है। तीनों जलाशयों को मिलाकर भी मानसून तक प्रतिदिन जलप्रदाय संभव नहीं है। गऊघाट एवं त्रिवेणी बैराज में 53 एमसीएफटी पानी बचा है। शिप्रा नदी में नर्मदा का जल मिलाने के लिए त्रिवेणी पर पाइप लाइन का पाइंट है। इससे लंबे समय से पानी नहीं छोड़ा गया है। ऐसे में त्रिवेणी पर शिप्रा पूरी तरह सूख चुकी है।
प्रतिदिन 9 एमसीएफटी कम
निगम के पीएचई विभाग के अनुसार शहर में पानी पहुंचाने के लिए के साथ वाष्पीकरण और अन्य कारणों की वजह से गंभीर डेम से प्रतिदिन 9 एमसीएफटी की कम होता है। गर्मी के दिनों में वाष्पीकरण अधिक होता है। गंभीर डेम में 1126 एमसीएफटी ही गंभीर डेम में बचा है।
इस माह प्रतिदिन सप्लाई करते हैं तो 279 एमसीएफटी पानी की खपत हो जाएगी। ऐसे में बारिश तक सिर्फ 732 एमसीएफटी ही पानी बचेगा, जिससे प्रतिदिन जलप्रदाय करना संभव नहीं होगा। दो दिन में जलप्रदाय करने पर पानी कम खर्च होगा, इससे अधिक दिनों तक जलप्रदाय किया जा सकता है।
फरवरी में कहां, कितनी नीचे रहा पानी जमीनी पानी की स्थिति ठीक नहीं….
शहर में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। शहर मे जमीनी पानी 9.70 और जिले में औसत 9.97 मीटर नीचे चला गया है। स्थिति फरवरी माह की है, जो चिंताजनक है। कारण, पिछले वर्ष बारिश कम होना और भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन एवं भूजल पुनर्भरण न होना है।
भूजल सर्वेक्षण विभाग ने जल संकट से उबरने के लिए पानी का अपव्यय रोकने की सलाह दी है। बता दें कि शहर एवं जिले की आधी आबादी की पानी की जरूरत चार दशकों से भूमिगत जल से ही पूरी हो रही है। इस दरमियान पानी की जरूरत भी बढ़ी है। बावजूद बारिश के पानी को सहेजने और भूजल पुनर्भरण के लिए सरकार या समाज की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।