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नदी में डूबा बालक, ई-रिक्शा जाम में फंसने से हो गई मौत
Sunday, October 1, 2023
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नदी में डूबा बालक, ई-रिक्शा जाम में फंसने से हो गई मौत

इकलौते बेटे की मौत से सूरत के माता पिता हुए बेहोश, रिश्तेदारों के साथ आए थे उज्जैन दर्शन करने

काई से फिसलकर नदी में डूबा बालक, तैराकों ने जीवित निकाला लेकिन ई-रिक्शा जाम में फंसने से हो गई मौत

पिता बोले…मेरे बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन…

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:सूरत के डिंडोली कस्बे के उदना गांव में रहने वाला परिवार अपने रिश्तेदारों के साथ उज्जैन दर्शन करने आया। उक्त लोग सुबह रामघाट पर स्नान करने पहुंचे जहां सीढिय़ों से 14 वर्षीय बालक का पैर फिसला और वह गहरे पानी में चला गया।

शोर सुनने के बाद घाट पर गन्ने के रस ठेला लगाने वाला अर्जुन कहार अपने साथियों के साथ नदी में कूदा और बालक को नदी से जीवित बाहर निकाला और ई रिक्शा में डालकर जिला अस्पताल के लिये रवाना हुए लेकिन जयसिंहपुरा रेलवे क्रासिंग चौराहा से कॉरिडोर की ओर जाने वाले मार्ग पर लगे जाम में ई रिक्शा 30 मिनिट फंसा रहा। अस्पताल में डॉक्टर ने बालक का परीक्षण किया और उसे मृत घोषित कर दिया। इकलौते बेटे की मृत्यु से माता-पिता बेहोश हो गये और साथ आये रिश्तेदार भी गमगीन हैं।

शुभम पिता रामधर 14 वर्ष निवासी कस्बा उदना डिंडोली जिला सूरत अपने माता पिता व रिश्तेदारों के साथ उज्जैन दर्शन करने आया था। सुबह करीब 8.30 बजे उक्त लोग रामघाट पर स्नान करने पहुंचे। शुभम भी परिजनों के साथ घाट की सीढिय़ों पर खड़े होकर नहा रहा था तभी काई के कारण उसका पैर फिसला और वह गहरे पानी में चला गया। परिजनों के शोर मचाने पर तैराकों ने उसे गहरे पानी से निकाला और ई रिक्शा में उसे डालकर तुरंत जिला अस्पताल के लिये रवाना हुए। इस दौरान शुभम की सांसें चल रही थीं और शरीर में हलचल थी।

ई रिक्शा चालक सिद्ध आश्रम, नृसिंह घाट के सामने वाली रोड़ से वाहन को तेज रफ्तार में चलाते हुए लालपुल से टर्न लेकर जैसे ही जयसिंहपुरा रेलवे क्रासिंग चौराहा की ओर मुड़ा तो वाहनों के जाम में फंस गया। ई रिक्शा में बैठे शुभम की मदद करने वाले स्थानीय युवक ने शोर मचाकर जाम में खड़े वाहनों को हटवाने और ई रिक्शा को रास्ता देने की गुहार लगाते हुए वाहन आगे बढ़ाया जिसमें करीब 15 मिनिट का समय लग गया।

बड़ी मशक्कत के बाद शुभम को उक्त लोग जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां ओपीडी में डॉक्टर ने परीक्षण के बाद शुभम को मृत घोषित कर दिया। उसके पिता इकलौते बेटे की मृत्यु की बात सुनते ही बदहवास हो गये। रामघाट पर मौजूद स्थानीय लोगों की मदद से उसकी मां व रिश्तेदार करीब 40 मिनिट बाद जिला अस्पताल आये जहां शुभम की मां ने जैसे ही उसकी मृत्यु की बात सुनी तो वह बेहोश हो गई वहीं रिश्तेदारों में भी शोक छा गया।

मौके पर यह प्रतिनिधि उपस्थित था। इस प्रतिनिधि ने शुभम के पिता रामधर की बात सूरत में रहने वाले रिश्तेदारों से भी करवाई। बीच बीच में रामधर पूछ रहा था- मेरे बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन है ? हम तो बाबा महाकाल के दर्शन करने और मां शिप्रा में स्नान करने आये थे। मैं बच्चों को लेकर घाट पर पहुंचा। बच्चों से कहा कि पहले तुम नहा लो, हम बाद में नहाएंगे। बच्चे घाट की पीढ़ी पर जैसे ही उतरे काई के कारण शुभम का पैर फिसला और वह गहरे पानी में चला गया। बच्चे चिल्लाए और मैं भी मदद के लिये चिल्लाया।

रामधर ने अर्जुन की ओर ईशारा करते हुए कहा यह भैय्या काम छोड़कर पानी में उतरे। इनके साथ और भी लोग मदद के लिये आये तब तक गोताखोर और पुलिस नहीं आई थी। इन लोगों ने बालक को नदी के अंदर से बाहर निकाला। उसके पेट से पानी निकालने के बाद अर्जुन ने ई रिक्शा बुलवाए और हमें तथा शुभम को लेकर अस्पताल साथ आया। रास्ते में बहुत जाम था। हम बार बार शुभम को हिला रहे थे। शुभम भी रिस्पांस दे रहा था।

अर्जुन रिक्शे से उतरकर चिल्ला चिल्लाकर रोड़ से वाहनों को एकतरफ करवा रहा था, लेकिन जाम के कारण हम अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे थे और शुभम की सांसें उखड़ रही थीं। जब हम अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। मुझे आप यह बताओ कि शुभम की मौत काई से फिसलने से हुई, जाम लगने से हुई या घाट पर डॉक्टर और एम्बुलेंस नहीं थी इसलिये हुई…? यह प्रश्न सरकारी तंत्र के लिये रामधर छोड़ गया है।

ताकि लोग उज्जैन वालों को बुरा न कहें… अर्जुन कहार
अर्जुन कहार शुभम को नदी से निकालने से लेकर ई रिक्शा में डालने और जाम के बीच से जिला अस्पताल तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका में रहा। उसकी सदाशयता इतनी अधिक थी कि उसने 4 ई रिक्शा का किराया अपनी जेब से दिया। चौथे ई रिक्शा वाले ने जब और रुपये मांगे तो फोन पे कर दिया। वह कभी पानी की बोतल भरकर शुभम के परिजनों को पिलाता तो कभी दौड़ लगाकर डॉक्टर को बुलवाता ताकि शुभम की बेहोश मां को उपचार दिया जा सके।

जब इस प्रतिनिधि ने अर्जुन से उसके बारे में जानकारी लेना चाही तो वह इतना ही बोला- भाई साहब ये तो बाहर का परिवार है। इन्हें न तो लोकल की जानकारी है और न ही अन्य की। मैंने ई रिक्शे का किराया और इतनी भागदौड़ केवल इसलिये की ताकि कल से सूरत वाले ये न कहें कि उज्जैन के लोग संवेदनशील नहीं हैं। अपने शहर में बाहर से आस्था लेकर लोग आते हैं। ऐसे मौके पर हम मदद करके अपने शहर की लाज तो रख ही सकते हैं।

जानलेवा बन गया जाम, नहीं इंतजाम

महाकाल मंदिर के आसपास 1 किलोमीटर के क्षेत्र में आने जाने वाले सभी मार्गों पर जाम लगा रहता है। स्थिति यह है कि यातायात थाने का पुलिस फोर्स इन मार्गों पर व्यवस्था नहीं संभाल पा रहा। अब यही जाम लोगों के लिये जानलेवा साबित होने लगा है। इन मार्गों पर आवागमन है मुश्किल-

1. हरिफाटक ब्रिज से त्रिवेणी संग्रहालय होते हुए जयसिंहपुरा, रेलवे क्रासिंग चौराहा, लालपुल।

2. हरिफाटक ब्रिज से बेगमबाग होते हुए कोट मोहल्ला चौराहा, चौबीस खंबा होते हुए गुदरी।

3. कोट मोहल्ला चौराहा से तोपखाना की ओर जाने वाला मार्ग।

4. गुदरी चौराहा से बक्षी बाजार होते हुए कहारवाड़ी से हरसिद्धी दरवाजा मार्ग।

5. सिद्ध आश्रम से नृसिंहघाट होते हुए हरसिद्धी मंदिर अथवा लालपुल की ओर जाने वाला मार्ग।

6. चौबीस खंबा माता मंदिर से महाकाल घाटी की ओर जाने वाला मार्ग।

7. छोटे पुल से ढाबारोड़ होते हुए मिर्जा नईमबेग की ओर जाने वाला मार्ग।

इन मार्गों पर दो पहिया, चार पहिय  वाहन तो ठीक इमरजेंसी में एम्बुलेंस अथवा फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहनों को भी आवागमन के लिये परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुलिस प्रशासन द्वारा किसी भी मार्ग को इमरजेंसी के लिये सुरक्षित नहीं रखा गया है। यही कारण रहा कि सुबह शुभम को गंभीर हालत में ई रिक्शा से जिला अस्पताल ले जाने के दौरान जाम में वाहन फंसने से उसकी मृत्यु हुई।

रामघाट पर न एम्बुलेंस न डॉक्टर की व्यवस्था

महाकाल लोक बनने के बाद से एक ओर जहां महाकालेश्वर मंदिर व शहर के प्रमुख मंदिरों में देश भर से आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं शिप्रा नदी के रामघाट सहित अन्य घाटों पर भी स्नान करने वाले बड़ी संख्या में प्रतिदिन पहुंच रहे हैं, लेकिन प्रशासन या पुलिस द्वारा यहां यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किये गये हैं।

रामघाट की सीढिय़ों पर नियमित सफाई नहीं होने के कारण काई जमी है जिससे लोग फिसलकर घायल होते हैं। आज सुबह भी शुभम इसी काई से फिसलकर गहरे पानी में डूबा। खास बात यह कि रामघाट क्षेत्र में घायलों अथवा पानी में डूबने वालों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने के लिये एम्बुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं है और प्रारंभिक उपचार के लिये किसी डॉक्टर की ड्यूटी यहां नहीं लगाई जाती।

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