Sunday, October 1, 2023
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नवपद ओली तप की कठिन आराधना कर रहे 600 आराधक

आचार्य वीररत्न सुरेश्वर जी सहित 25 साधु-साध्वीजी का मिल रहा सानिध्य

उज्जैन। महाराजा श्रीपाल और मैना सुन्दरी की तप स्थली श्री केशरिया नाथ सिद्धचक्र आराधन तीर्थ खाराकुआं पर नौ दिवसीय नवपद ओली तप आराधना चल रही है। इसमें शामिल 600 से ज्यादा समाजजन कठिन आराधना कर रहे हैं।

नव तप ओली की आराधना का आज पांचवा दिन है। इसमें कठिन तप के लिए मध्य प्रदेश के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब सहित अन्य स्थानों से आए करीब 600 समाजजन इस आराधना मे शामिल हो रहे है। यह आराधना आचार्य वीररत्न सुरीश्वरजी एवं पद्मा भूषण सुरेश्वर जी तथा गणिवर्य आदर्श रत्न सागर जी एवं साध्वी भक्ति रेखा श्री जी आदि साधु साध्वीजी के सानिध्य मे हो रही है। आचार्यश्री वीर रत्न सुरेश्वर जी के अनुसार जैन धर्म मे ओली तप को शाश्वत तप बताया गया हैं। इस आराधना से जन्म जन्मांतर मे हुए अशुभ कर्मों का क्षय होता हैं। इस आराधना मे यन्त्र, मंत्र, जप , तप, ध्यान, योग, साधना सब शामिल हैं। यह मोक्ष मार्ग भी प्रशस्त करती हैं।

श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी ट्रस्ट के सचिव नरेंद्र जैन दलाल के अनुसार इस कठोर आयंबिल तप आराधना मे आराधक 9 दिन तक एक ही समय, एक ही बैठक मे रूखा, उबला हुआ आहार ग्रहण करेंगे। इस आहार मे मिर्च, मसाले,घी, तेल, दूध-दही, शकर, ड्राई फ्रूट, फल-सब्जी आदि का उपयोग नहीं किया जाता हैं। आराधक सुबह 7 बजे से दो घंटे धार्मिक क्रिया, जाप भी करते हे। संपूर्ण आराधना के मुख्य लाभार्थी कुंकू बेन जूहरमल मनरूप साकरिया परिवार गोरेगांव मुंबई है। सभी आराधकों का सामूहिक आयंबिल नईपेठ स्थित रंगमहल धर्मशाला में हो रहा है।

इसलिए जुटते हैं समाज जन यहां

दरअसल करीब 5 हज़ार साल पूर्व महाराजा श्री पाल एव मैना सुन्दरी ने उज्जैन मे पहली बार य़ह आराधना की थी जिससे उनका कुष्ठ रोग दूर होकर उन्हें खोया हुआ राजपाट पुन: प्राप्त हो गया था। तब से इस स्थान का विशिष्ट महत्त्व हैं। 80 आराधक कर रहे वरण की ओली जी- आराधना में शामिल 600 आराधकों में से 80 आराधक ऐसे भी हैं जो बगैर नमक वाला उबला हुआ भोजन कर रहे हैं। इसे वरण की ओलोजी कहते हैं। यह तप और कठिन होता है।

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