ताज महल केस में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 22 कमरों को खुलवानेवाली याचिका खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि आप हमसे क्या चाहते हैं?
क्या आप चाहते हैं कि हम यह तय करें कि ताजमहल किसने बनवाया है? क्या आपके किसी अधिकार का हनन हुआ? जज ने यह टिप्पणी भी कि व्यवस्था का मजाक न बनाया जाए।
जज ने यह भी कहा कि आज आप ताजमहल के कमरे खोलने की बात कह रहे हैं, कल आप कहोंगे कि जजों के चैम्बर के दरवाजे खोले जाएं? दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलील रखी है।
भाजपा की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने यह याचिका दायर की है। उनका कहना है कि फैक्ट फाइंडिंग टीम ने मांग की थी कि ताजमहल के इतिहास से जुड़ी सच्चाई को जनता के सामने लाया जाए और इसके लिए 22 कमरों के दरवाजे खोलने की मांग की गई है। कई दक्षिणपंथी संगठनों ने अतीत में दावा किया है कि मुगल काल का मकबरा भगवान शिव का मंदिर था।