अक्षरविश्व से खास चर्चा में कोरोनाकाल को याद करते हुए पद्मश्री डॉ. जितेन्द्र सिंह शंटी ने बताया सबक लेने वाला समय
अक्षरविश्व प्रतिनिधि .उज्जैन। कोरोनाकाल में मरीजों की सेवा करने वाले शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक पदमश्री सम्मान प्राप्त डॉ. जितेंद्र सिंह शंटी एक निजी समारोह में भाग लेने के लिए मंगलवार को उज्जैन पहुंचे।
अक्षर विश्व से विशेष चर्चा में डॉ. शंटी ने कहा कि कोरोनाकाल के वो पिछले ढाई साल भुलाये नहीं भूलते। जब हम आपस में एक दूसरे की शक्ल देखने को मोहताज थे। कोरोना गाइड लाइन के कारण तब मास्क और पीपीई किट अनिवार्य था। ऐसे में हम किसी को आवाज तो किसी को आंखों से पहचानते थे। वह इस सदी का सबसे भयावह समय था। हालत यह थी कि इस भयानक समय में लोगों ने फोन बंद कर लिये थे। हजारों लोगों की लाशें घरों में पड़ी थीं। उस दौरान ईश्वर ने शक्ति दी और 4200 से अधिक मृतक लोगों के शव का अंतिम संस्कार करने का सौभाग्य मुझे मिला।
इस कार्य में संस्था के ड्रायवर्स और कर्मचारी भी शहीद हुए लेकिन हमने अपना काम जारी रखा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के वक्त में हम सभी इंसानों को अपनी औकात याद दिलाई। वक्त से बड़ा कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा कि वे 26 अप्रैल का दिन भी नहीं भूलते जब रात ढाई बजे वे दिल्ली के एक श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार करा रहे थे तब एक फोन आता है।
अटेंड करने पर उधर से आवाज आती है डॉ. शंटी आपको हम टीवी पर देख रहे हैं। आप बहुत पुण्य का काम कर रहे हैं। इस कार्य के लिये आपको ईश्वर शक्ति दे…जय हिंद। यह फोन किसी ओर का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था जिन्होंने विपरीत काल में हमारा हौंसला बढ़ाया।शंटी ने कहा सेवा करना हमारा कोई दायित्व नहीं है,यह हमारा राष्ट्र के प्रति प्रेम है।आज वे पहली बार भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में आए हैं जहां उन्हें शाम को राष्ट्रीय क्रांतिवीर अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
भगतसिंह सेवा दल के माध्यम से करते हैं सेवाकार्य
- केंद्र सरकार की ओर से शंटी को 25 वर्षों से गरीब लोगों की अथक सेवा के लिए ‘सामाजिक कार्यÓ श्रेणी में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- मरीजों की सेवा के लिए अब तक 102 बार रक्तदान कर रेकॉर्ड कायम कर चुके है।
- कोरोना काल में व इससे पहले कई शवों को अंतिम स्थल तक पहुंचाकर उनका अंतिम संस्कार निशुल्क करवा चुके है।
- शहीद भगत सिंह सेवा दल संस्था के माध्यम से वह मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करवाते है।
- लोगों की जान बचाने के लिए वह जागरूकता पैदा करने और भारत में आपदा तैयारी की संस्कृति विकसित करने की दिशा में प्रतिबद्ध है।
- उनका शहीद भगत सिंह सेवा दल 1997 से कई मानवीय सेवाएं प्रदान कर रहे है। जो किसी भी असहाय को उपचार के लिए अस्पताल तक पहुंचाते है जिससे की ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बच सकें।
- शंटी ने कहा सेवा करना हमारा कोई दायित्व नहीं है,यह हमारा राष्ट्र के प्रति प्रेम है।
शव देने से मना करना मानव अधिकारों का हनन-
एक सवाल के जवाब में डॉ. शंटी ने अक्षर विश्व से कहा कि अस्पतालों में आमतौर पर पैसे के अभाव में परिजनों को शव देने से इंकार किया जाता है। यह मानव अधिकारों का सबसे बड़ा हनन है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का सदस्य होने के नाते वे इस दिशा में जल्द कार्य शुरू करेंगे।उनकी मांग है कि परिजनों से अस्पताल मरीज के शव को एक अंडरटेकिंग लेकर शव उनके हवाले करे यह व्यवस्था होनी चाहिये।