वर्षायोग के दौरान धर्मसभा में मुनिश्री के उद्गार
अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन पंचमकाल में हमने जो जन्म लिया है ये साक्षात प्रमाण है कि अभी तक हमने सम्यग्दर्शन प्राप्त नहीं किया, क्योंकि सम्यग्दृष्टि जीव कभी नारकी, तिर्यंच, दरिद्र, निंद कुल, नपुंसक आदि पर्यायों को प्राप्त नहीं करता। संसार के दुखों से छूटने का एकमात्र साधन यदि कोई है तो वह एकमात्र सच्चे देव, शास्त्र, गुरू पर श्रद्धान ही है जो अपनी विषय कषायों को दबाने का पुरूषार्थ करता है। धर्म-धर्मात्मा को देखकर गदगद भावों से युक्त होता है। समीचीन श्रद्धान रखता है।
सम्यग्दर्शन की महिमा को बतलाते हुए मुनिश्री सुप्रभसागरजी ने ये उद्गार ऋषिनगर दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे वर्षायोग के दौरान आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ससंघ के सानिध्य में इंद्रध्वज महामंडल विधान का आयोजन 23 जुलाई से 1 अगस्त तक महाज्ञान कुंभ वर्षायोग समिति के तत्वावधान में सकल जैन समाज द्वारा किया जा रहा है। जिसके प्रमुख पात्रों का चयन 16 जुलाई को प्रात: काल की बेला में संपन्न होगा। मीडिया प्रभारी प्रदीप झांझरी ने बताया कि धर्मसभा में कैलाश जैन, शांति कासलीवाल, प्रमोद जैन, नरेन्द्र डोसी, दिनेश गोधा, कमल मोदी, अशोक जैन, आरसी जैन, जिनेन्द्र पंडित आदि ने श्रीफल भेंटकर अपनी विनयांजलि भेंट की।