नगर निगम की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। पार्षदों को वार्ड में विकास कार्य कराने के लिए मद नहीं मिल रहा है। क्षेत्र की जनता की मांग पर पार्षद कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
वर्तमान नगर निगम परिषद को एक वर्ष होने जा रहा है। विकास कार्यों की बात पर पार्षद कह रहे हैं की अभी तक उन्हें बजट नहीं मिला है। एक साल के कार्यकाल की उपलब्धि के तौर पर कुछ ख़ास नहीं बता पा रहे। दरअसल पैसा नहीं होने के कारण वे अपने वार्ड में विकास का कोई कमाल नहीं दिखा पाए है।
एक वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धि की चर्चा पर में उनका दर्द तो झलकाता है,पर अनुशासन की सीमा में बंधे होने के कारण जुबा पर नहीं आ रहा है। कुछ पार्षद जरुर स्वयं पर ही कटाक्ष करते हुए कहते है कि ‘हमारे हाथ में फिलहाल विकास का कोई काम नहीं रह गया है। विकास कार्य के नाम पर हम बस नाली,वार्ड की सफाई कराने वाले बनकर रह गए है।
‘शिकायत और मांग सुनकर और आवेदन ले लेते है,पर कुछ कर नहीं पा रहे। पार्षदों को 15 लाख रुपए पार्षद मद में देने की बात तय हुई थी वह पैसे भी नहीं मिले है। ऐसे में आगे काम कैसे होगा यह बड़ा प्रश्न है। वहीं ठेकेदारों पर करोड़ों रुपए की देनदारी है। भुगतान नही मिलने से ठेकेदार भी काम करने की स्थिति में नहीं है।
पार्षद ही बता रहे है कि अनेक ठेकेदारों द्वारा पहले अपनी जमा पूंजी और ब्याज पर ओडी आदि माध्यम से निर्माण कार्यों को पूर्ण किया है। ठेकेदारों पर बैंकों तथा बाजार के व्यापारियों का इतना अधिक उधार हो चुका हे कि कोई माल देने को तैयार ही नहीं होता है। निगम के ठेकेदार भी कहने लगे है कि उन्हें कोई एक बोरी सीमेंट-रेती भी उधार नहीं देता है।
महापौर शासन से आर्थिक सहायता लेने गए थे लेकिन फिलहाल सफलता नहीं मिली है। निगम पर बड़ी देनदारियां है। दिक्कत यह है कि निगम अधिकारियों को वेतन दें,अपने खर्चें निकाले, बिल अदा करें या विकास कार्य कराए। जब तक सरकार बड़ा बजट नहीं देगी तब तक नगर निगम की गाड़ी पटरी पर नहीं आ सकती है।
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नगर निगम की कंगाली दूर करने के लिए बीते दिनों कांग्रेसी पार्षदों द्वारा प्रदर्शन करते हुए भीख मांगी गई थी। इससे प्राप्त 4 हजार से कुछ अधिक रु.निगम के कोषालय में जमा किए गए थे।