Notice: Undefined variable: _SESSION in /home/u937512882/domains/avnews.in/public_html/index.php on line 1
निराला की विद्रोहात्मकता बच्चन की सरल भाषा से बहुत प्रभावित रहा
Sunday, October 1, 2023
HomeAV साहित्यनिराला की विद्रोहात्मकता बच्चन की सरल भाषा से बहुत प्रभावित रहा

निराला की विद्रोहात्मकता बच्चन की सरल भाषा से बहुत प्रभावित रहा

निराला की विद्रोहात्मकता बच्चन की सरल भाषा से बहुत प्रभावित रहा

2 अक्टूबर 1934  को ललितपुर उत्तरप्रदेश में जन्मे डॉ. जयकुमार जलज उच्च शिक्षा के तहत सतना, रीवा, बरेली, सिहोर के महाविद्यालय में प्राध्यापक रहे। रतलाम के शासकीय स्नातकोत्तर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष और फिर प्राचार्य रहे। साहित्य लेखन के क्षेत्र में इन्हें कई बार सम्मानित किया गया है। इनकी कई कृतियां अभी तक प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य विश्व के लिए इनसे चर्चा की गई तो कुछ सवालों के जवाब इस प्रकार दिए।

सवाल :- निरालाजी से लेकर महादेवी वर्मा, हरिवंशराय बच्चन एवं वरिष्ठ साहित्यकारों का आपको सानिध्य प्राप्त हुआ। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली?

जवाब :- निराला की विद्रोहात्मकता, महादेवी की भाव प्रवणता, हरिवंशराय बच्चन की सहज सरल भाषा और तीव्र अनुभूतिपरकता से मैं प्रभावित हुआ हूं। इन लेखकों से मुझे कुछ सीखने को मिला।

सवाल :- आपकी साहित्य रूपी यात्रा कितने वर्ष पहले शुरु हुई थी और इसकी प्रेरणा आपको कहां से मिली?

जवाब :- मेरी साहित्य लेखन यात्रा सन् १९५० के कुछ वर्ष पहले शुरू हुई। आजादी के आंदोलन, महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण समेत अन्य लेखन के प्रेरणास्त्रोत रहे।

सवाल:- आपके मार्गदर्शन में कितने छात्रों ने पीएचडी की है?

जवाब :- मेरे मार्गदर्शन में 11 छात्रों ने पीएचडी की है।

सवाल :- साहित्य लेखन का उद्देश्य क्या होना चाहिए?

जवाब :- मनुष्य के अन्य प्रयत्नों की तरह साहित्य भी एक मानवी प्रयत्न है। वह मनुष्य के ही प्रति निवेदित है। वह मनुष्य को मनुष्य से जोड़ता है। उसे भीतर से नहीं बाहर से भी बदलता है। पुराने राजनेता साहित्य पढ़ते थे, लिखते भी थे। उनकी बोली वाणी का स्तर और आज के राजनेताओं की बोली वाणी का स्तर!

सवाल :- साहित्य लेखन के लिए आपको कितनी बार सम्मानित किया गया है?

जवाब :- मुझे साहित्य लेखन के लिए मप्र शासन का कामताप्रसाद गुरु पुरुस्कार 1967, मप्र शासन का अभा विश्वनाथ पुरुस्कार 1967 , हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का साहित्य सारस्वत की उपाधि 1998 , मप्र शासन का भोज पुरुस्कार 1987, मप्र लेखक संघ का सर्वोच्च अलंकरण अक्षर आदित्य 2006, अभा बुंदेलखंड साहित्य एवं संस्कृत परिषद का राष्ट्रीय छत्रसाल पुरुस्कार 2013 आदि प्रदान किए गए हैं।

डॉ. जयकुमा जलज, रतलाम

जरूर पढ़ें

मोस्ट पॉपुलर