नेताजी है कि मानते नहीं, शहर की ‘शान, में करते है गुस्ताखी…
कुछ नेताओं की आदत में शुमार होता है कि मान न मान मैं तेरा मेहमान..। ऐसे नेताओं की हमारे शहर में भी भरमार है। जो अपने कथित प्रभाव-दबाव के जरिए अपनी उपस्थिति दर्शाना चाहते हैं। ऐसा ही कुछ बीती रात को शिप्रा किनारे दत्त अखाड़ा रामघाट पर प्रख्यात गायक शान एवं उनके दल द्वारा दी जा रही गानों की प्रस्तुति के दौरान हुआ।
मंच पर स्थान पाने की ललक में दो ‘नेताजी, शिप्रा नदी की पैदल रपट को पार कर मंच के पास पहुंच गए। नेताओं ने रपट के मुहाने पर तैनात स्थानीय पुलिस को तो प्रभाव दिखा दिया, लेकिन मंच के निकट गायक शान की पर्सनल सिक्यूरिटी और स्टॉफ के आगे दोनों की नहीं चली।
दोनों नेताओं को रोक दिया। मंच पर जाने के लिए दोनों ने काफी देर तक बहस भी की। घटनाक्रम के दौरान ही शान के गीतों की प्रस्तुति चल रही थी। उनकी जुबां और होठों पर गीतों के बोल थे, पर शायद उनकी निगाहें मंच के नीचे चल रहे घटनाक्रम पर थी।
गायक शान ने अपने सिक्यूरिटी इंचार्ज का हाथ पकड़ कर इशारा किया कि मंच पर आने वालों को रोका जाए। इसके बाद ‘गायक शान ने गीत पूरा होते ही बलपूर्वक मंच पर आने के लिए प्रयास करने वालों से मुखातिब होते हुए माइक से ही कहा कि जो भी मंच पर आने की कोशिश कर रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि जो जहां है, वहीं बने रहे। वैसे स्टेज ऐसी जगह बना है, जिसमें मेरे और पब्लिक में दूरी बनी हुई है।
ऐसे में मंच या इसके आसपास आकर मेरे -श्रोताओं के बीच दीवार नहीं बने। यह कार्यक्रम मैं जनता के लिए प्रस्तुत करने आया हूं।, इसके बाद तो मंच पर जाने के लालायित नेताओं ने कान मोबाईल लगाया और बात करते हुए रपट से निकल लिए….। उनकी बातचीत का सार शायद यहीं होगा कि…
‘हे संजय हम तो नरेश हैं फिर भी
हम दोनों को मंच पर जाने नहीं दिया…।,