पार्षद तो हम है, मैडम का काम सदन में बैठना…!’

By AV NEWS

नाम के जनप्रतिनिधि, काम संभाल रहे ‘घरवाले’, पति झाड़ रहे हैं रौब….

‘पार्षद तो हम है, मैडम का काम सदन में बैठना…!’

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने नगरीय निकाय में 50 फीसद आरक्षण प्रावधान किया है। इसके विपरीत नगर निगम, पालिका और पंचायतों में चुनकर आई महिला पार्षदों के स्थान पर उनके रिश्तेदार महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।

वहीं कुछ है कि अफसरों पर पार्षद पति होने रौब झाड़ रहे है। नगर निगम उज्जैन में 54  में से 27 महिला पार्षद हैं। आधी से ज्यादा महिला पार्षदों का कामकाज उनके पति, पुत्र, भाई, या अन्य रिश्तेदार संभाल रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि असल में आरक्षण का फायदा किसको मिल रहा है।

नगर निगम उज्जैन के कामकाजों में महिला पार्षदों के रिश्तेदारों के दखल से विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। अभी केवल शिकवे-शिकायत का सिलसिला चल रहा है।

उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के दो वार्डों के पार्षद पति के नगर निगम के कामों में हस्तक्षेप को लेकर खासी चर्चा हो रही है। इसकी शिकायत उच्च स्तर पर भी पहुंची है। कोई कार्रवाई या निर्णय नहीं होने से अधिकारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। महिला पार्षदों के रिश्तदारों के लगातार हस्तक्षेप से आने वाले समय में किसी भी दिन विस्फोटक स्थिति निर्मित हो सकती है।

चुनाव के बाद नहीं देखी शक्ल

नगर निगम चुनाव से पहले पार्षद पद के लिए महिला उम्मीदवारों ने पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं, रिश्तेदारों के साथ जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया था, लेकिन निर्वाचन के बाद अब तक कई मतदाताओं ने महिला पार्षदों की शक्ल नहीं देखी है। मतदाताओं का कहना है कि समस्याओं के निराकरण के लिए मोबाइल फोन लगाने पर महिला पार्षद के पति, पुत्र या अन्य रिश्तेदारों से ही बात होती है। महिला पार्षद के पति-पुत्र ही वार्ड विकास की रणनीति बनाते देखे जाते हैं।

दो मामलों की खासी चर्चा नगर निगम में

मामला एक: फील्ड में तो हम ही पार्षद है

नगर निगम झोन 4 के तहत महिला पार्षद के पति टिकट लाने से लेकर चुनाव लडऩे और विजय होने तक सक्रिय थे। यह तो समझ भी आता है, लेकिन नगर निगम और कामों में पति का हस्तक्षेप पत्नी से ज्यादा है। पार्षद पति तो वार्ड को ‘गोकुलधाम’ मानकर एकमेव जनप्रतिनिधि के तौर पर अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्देशित कर रहे हैं। परिषद के एक साल के कार्यकाल में महिला पार्षद की तुलना में उनके पति अधिक सक्रिय रहे।

इस पर कई तो यह भी कहने से नहीं चूक रहे है कि ‘भाई साब का बस नहीं है अन्यथा वे भाभी जी को निगम परिषद या अन्य बैठक में आने नहीं दें। उनके स्थान पर खुद ही आने लग जाए।’ पति के लगातार हस्तक्षेप से अधिकारियों और उनके बीच बहस और विवाद की स्थिति बन चुकी है। बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले काम को लेकर पार्षद पति और अधिकारी के मध्य विवाद होने पर अधिकारी ने जनप्रतिनिधि नियम और अधिकार का जिक्र किया। इस पर पार्षद पति का कहना था कि महिला तो सदन, निगम की अन्य बैठक और निगम के कार्यक्रमों के लिए पार्षद है। फील्ड में तो हम सक्रिय है। हमारी सुनना पड़ेगी। दोनों के बीच जमकर बहस भी हुई। अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी शिकायत भी की। कोई कार्रवाई या निर्णय नहीं होने पर अधिकारी ने झोन जाने का मन बना लिया है।

मामला दो: निजी संसाधनों का उपयोग,भुगतान के लिए दबाव

नगर निगम झोन 5  के तहत आने वाले वार्ड की महिला पार्षद के पति की अलग ही रवैया सामने आया है। वार्ड को अपनी ‘रियासत’ मानकर दबाव बनाने के लिए नियमों को नजरअंदाज कर अधिकारियों को हुक्म-आदेश जारी किए जा रहे हंै। इससे विवाद की स्थिति बन रही है।

पार्षद पति ने वार्ड में वार्ड में काम और सक्रियता दिखाने के लिए निजी स्तर पर संसाधनों का उपयोग किया। इसके बाद भुगतान की बारी आई, तो उसे निगम के खजाने से करने का प्रयास कर अधिकारी पर प्रस्ताव की फाईल बनाने के लिए दबाव बनाया। इस बात पर अधिकारी और पार्षद पति में विवाद हो गया। अधिकारी ने नियमों का हवाला देकर साफ शब्दों में पार्षद पति को बोल दिया कि वे भुगतान संबंधित किसी फाईल तो दूर एक कागज पर भी हस्ताक्षर नही करने वाले है। इन अधिकारी ने भी वरिष्ठ अधिकारी से इसकी मौखिक शिकायत कर झोन से हटाने का आग्रह कर दिया है।

इंदौर से ‘सबक’ लेने की आवश्यकता

नाम नहीं देने की शर्त पर नगर निगम के एक अधिकारी का कहना है कि निगम में अधिकांश महिला पार्षदों के परिजन हस्तक्षेप कर रहे है। वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार इस स्थिति से अवगत कराया जा चुका है। पार्षद पतियों-रिश्तदारों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए इंदौर नगर निगम से ‘सबक’ लेने की आवश्यकता है। बता दें कि कुछ दिनों इंदौर नगर निगम की कमिश्नर हर्षिका सिंह ने भरी बैठक से भाजपा पार्षद के पति को निकाल दिया था।

साथ ही उन्हें हड़काया है कि क्या उनकी जगह फाइल आप साइन करेंगे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। बैठक में पार्षद पति ने जैसे ही अपना परिचय वैसे ही निगम कमिश्नर ने कहा था, पार्षद जी कहां हैं। पार्षद पति ने जवाब दिया कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसके बाद निगम कमिश्नर ने भरी मीटिंग में उन्हें टोकते हुए कहा था कि मैं आपकी एक भी नहीं सुनूंगी, पार्षद मैडम कहां हैं? पार्षद के लिए यह बैठक है, आपके लिए नहीं और क्या आप उनकी जगह फाइलें साइन करेंगे। इसके बाद पार्षद पति को बैठक से बाहर कर दिया था।

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