बदलाव: आयकर में ऑडिट और रिटर्न का नया फार्म जारी
स्कूल, कॉलेज, अस्पतालों ने लाभ कमाया तो देना होगा भारी टैक्स…
अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन।स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों को मुनाफा बटोरना भारी पड़ेगा। इन संस्थाओं को अब आय की पूरी जानकारी आयकर द्वारा जारी प्रारूप में देना होगी। इसके लिए आयकर ने ऑडिट और रिटर्न का नया फार्म जारी किया है। संस्थाओं ने लाभ कमाने की ‘गलती’ मिली तो ट्रस्ट की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा। नई व्यवस्था एक अप्रैल 2023 से लागू की जा रही है।
आयकर विभाग ने धार्मिक, पारमार्थिक व सामाजिक संस्थाओं के लिए नया रिटर्न व आडिट फार्म जारी किया है। पहले जो ट्रस्ट और संस्थाएं दो पेज की आडिट रिपोर्ट दाखिल कर आयकर के दायित्व से मुक्त हो जाते थे, अब उन्हें 20 पेज की आडिट रिपोर्ट जमा करना है।
आडिट के नए फार्मेट 10(बी) व 10(बीबी) से आयकर दान, गुप्त दान, ट्रस्ट व ट्रस्टियों से लेकर खर्च और दूसरे ट्रस्ट को किए गए दान की भी छोटी से छोटी जानकारी मांगी जा रही है। बात सिर्फ इतने पर खत्म नहीं हो रही।
ताजा संशोधन के बाद ट्रस्टों के बीते वर्षों का रिकार्ड खंगालने और खानापूर्ति में गलती होने पर ट्रस्टों पर संपत्ति के अनुपात में भारी-भरकम टैक्स लगाने के अधिकार भी आयकर को मिल रहे हैं। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह तो दिख रहा है कि सरकार काला धन रोकने के लिए धर्मार्थ संस्थाओं के नाम पर चलने वाले ट्रस्टों पर निगरानी रखना चाह रही है।
आयकर विभाग ने संस्थाओं को दिया समय
ट्रस्ट और संस्थाओं को 31 अगस्त तक नए प्रारूप में रिटर्न और 30 सितंबर तक आडिट रिपोर्ट ऑनलाइन दाखिल करने का समय दिया है। आमतौर पर समाज की संस्था बनाने के लिए समाज के लोग आम तौर पर पब्लिक ट्रस्ट से पंजीयन लेकर दान इकट्ठा कर जमीन आदि की तलाश शुरू करते हैं। इसे कार्पस फंड कहते हैं। बिना पंजीयन के ऐसे कार्पस फंड को भी बिना आयकर पंजीयन लिए इकठा करने पर आय मानकर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूली हो सकेगी। वहीं टैक्स जमा नहीं होने पर पंजीयन भी निरस्त हो सकता है।
संस्थाओं को अपनी आय का 85 प्रतिशत खर्च करना जरूरी….संस्थाओं को अपनी आय का 85 प्रतिशत खर्च करना जरूरी है। यदि इससे कम खर्च किया तो शेष रुपया एफडीआर में रखकर आयकर विभाग को स्टेटमेंट देना होगा कि यह रुपया परमार्थ कार्यों में कब तक खर्च किया जाएगा। इसके लिए भी पांच वर्ष से ज्यादा का समय नहीं मिलेगा।
‘गलती’ मिली तो ट्रस्ट की श्रेणी से होंगे बाहर
जानकारों अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों व्याख्या की थी कि चैरिटेबल संस्थाएं परोपकार के लिए संचालित होना चाहिए। निजी स्कूलों-कॉलेजों, अस्पतालों को ट्रस्ट-सोयायटी के रूप में ही पंजीकरण दिया जाता है। आयकर नए फार्म में इनसे एक-एक दान, खर्च और प्राप्तियों का ब्योरा मांग रहा है।