Monday, December 11, 2023
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बरसात से पहले ही शिप्रा नदी में मिल रहा कान्ह नदी का प्रदूषित पानी…

त्रिवेणी क्षेत्र में टूटे मिट्टी के पाले को फिर से नहीं बांधा, बारिश में शेष रहा भाग भी बह जाएगा

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन त्रिवेणी घाट के नजदीक कान्ह तथा शिप्रा नदी के बीच बनाए गए मिट्टी के पाले का एक हिस्सा लगभग दो माह पहले टूट गया था। इसके कारण तभी से त्रिवेणी पर कान्ह नदी का दूषित पानी शिप्रा में मिल रहा है। बारिश में जब कान्ह नदी का जलस्तर बढ़ेगा तो पाले का शेष रहा भाग भी नदी में बह जाएगा।

सिंहस्थ 2016 के दौरान 100 करोड़ खर्च कर पूरी की गई कान्ह डायवर्शन योजना के फेल हो जाने के बाद से पिछले करीब 7 वर्षों से त्रिवेणी क्षेत्र में यह समस्या लगातार बनी हुई है। योजना में पाईप लाईन के जरिए कान्ह नदी के दूषित पानी को कालियादेह महल पार तक डायवर्ट तो कर दिया गया, लेकिन जब-जब कान्ह नदी का जलस्तर बढ़ता है और वह ओवरफ्लो होती है तो डायवर्ट लाईन के ऊपर से होकर कान्ह का पानी शिप्रा में मिलने लगता है। यह योजना बारिश में वैसे भी कारगर नहीं है। विभाग के अधिकारी भी इस बात को कई बार स्वीकार चुके हैं।

इधर बारिश को छोड़ शेष 8 महीनों में कान्ह का पानी रोकने के लिए जलसंसाधन विभाग द्वारा त्रिवेणी के समीप कान्ह तथा शिप्रा नदी के बीच मिट्टी का बांध बनाया जाता है। स्थिति यह है कि मावठे की बरसात या फिर अन्य कारणों से इंदौर से आ रही कान्ह नदी का दूषित और केमिकलयुक्त पानी ओवरफ्लो होकर इस पाले के ऊपर से बहकर शिप्रा में मिलने लगता है। कुछ समय बाद ओवरफ्लो स्थान से मिट्टी का कटाव होने लगता है और पाले का एक हिस्सा बह जाता है। पिछले दो महीने से वहां यही स्थिति बनी हुई और लगातार कान्ह नदी का दूषित पानी शिप्रा में मिल रहा है। हर बार की तरह बारिश के दौरान यह पाला पूरी तरह से नदी में बह जाएगा। इस समस्या का स्थायी हल अभी विभाग के पास नही है।

कान्ह नदी का ओवरफ्लो पानी शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए त्रिवेणी क्षेत्र में हर बार मिट्टी का पाला या बोरी बंधान बनाना पड़ता है। इस पर 10 से 20 लाख रुपए का खर्च हर बार आता है। फिर भी बार-बार पाला टूटता है और शिप्रा का पानी दूषित होता है। इस विषय में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव तथा महापौर मुकेश टटवाल से चर्चा हुई है। दोनों ने वहां पक्का पाला बनाने की कार्ययोजना पर सहमति जताई है तथा कार्ययोजना बनाने का कहा है। जल्द ही इस समस्या का निदान हो जाएगा।
प्रकाश शर्मा, प्रभारी जलकार्य समिति नगर निगम, उज्जैन

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