प्रतिबंध हटे, तो भगवान के निकट भक्त पहुंचे
उज्जैन।कोरोना संक्रमण के प्रतिबंध हट जाने पर भक्तों को शहर की सड़क पर पालकी में निकले भगवान महाकाल के निकट जाने का करीब 2 साल बाद अवसर मिला तो पलक-पावड़े बिछा दिए। छत्री चौक में बाबा महाकाल के लिए फूलों का रास्ता बनाया गया। कदम-कदम पर पुष्पवर्षा कर बाबा का स्वागत किया। जगह-जगह पूजन आरती की गई।
भगवान महाकाल की तीसरी सवारी सोमवार को धूमधाम से निकली। कोरोना के प्रतिबंध हटने के बाद जब यह सवारी दो साल बाद अपने परंपरागत मार्ग से निकली तो श्रद्धालुओंं का सैलाब भगवान महाकाल की एक झलक पाने को उमड़ पड़ा परंपरागत मार्ग से महाकाल की अंतिम सवारी 25 नवंबर 2019 को निकली थी।
कोरोना लहर घातक होने से प्रशासन ने एहतियात स्वरूप लगातार साल-2020 और 2021 में श्रावण-भादौ मास की सवारी परिवर्तित मार्ग (महाकाल मंदिर से बड़ा गणेश मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, सिद्ध आश्रम होकर रामघाट) से निकाली। कार्तिक-अगहन मास की पिछली दो सवारियां भी परिवर्तित मार्ग से ही निकाली गईं।
शासन द्वारा कोरोना प्रतिबंध हटाए जाने के बाद स्थानीय प्रशासन ने निर्णय लिया कि कार्तिक-अगहन (मार्गशीर्ष) मास की तीसरी और मार्गशीर्ष मास की पहली सवारी सोमवार को परंपरागत मार्ग से निकलेगी। मंदिर के सभा मंडप में भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का पूजन किया। शुरू की गई। मुख्य द्वार पर सवारी को सशस्त्र बल ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी, कहारवाड़ी होकर रामघाट पहुंची। रामघाट पर पूजन अर्चन के बाद सवारी गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होकर महाकाल मंदिर लौटी।
सवारी एक नजर में…
श्रावण-भादौ और कार्तिक-अगहन मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा वर्षों पुरानी है।
परंपरागत सवारी मार्ग पर दो साल पहले की तरह का ही नजारा था।
प्रशासन ने सवारी मार्ग की ओर आने वाले मार्गों को बेरिकेडिंग कर बंद कर दिया ताकि वाहनों आवाजाही रोकी जा सके।
बाबा के अपने पारंपरिक मार्ग पर दर्शन के लिए आने का भक्तों को कितना इंतजार का, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कदम-कदम पर बाबा पर फूलों की वर्षा की गई। पूरे मार्ग पर भक्त हाथों में फूल लिए खड़े थे।